मंगलवार, 29 नवंबर 2022
बिहार के बरौनी स्टेशन होकर ट्रेन से सफर करने वाले हैं, तो रुकिए। 2 दिसम्बर से कई ट्रेनें रद्द और रूट बदलकर चलेगी
शुक्रवार, 25 नवंबर 2022
शराबबंदी कानून के बीच मिल रहे अवैध शराब, पकड़े जा रहे तस्कर और पीयक्कर
बुधवार, 26 अक्टूबर 2022
त्योहार: अक्टूबर माह की वेतन एडवांस देने का आदेश, पर नहीं खुल रहा एचआरएमएस पोर्टल, वेतन अटका
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022
दीपावली पर शिक्षकों को वेतन की आस पर फिरा पानी, छठ पर्व पर वेतन की आसार भी दिख रहे कम
स्कूली बच्चों ने डीएम से मांगी खेल सामग्री, डीएम ने की 24 घंटे में मांग पूरी
सोमवार, 10 अक्टूबर 2022
...और वो आती जाती खत
शराबबंदी: शराबियों के घर अब चस्पा होगी पोस्टर, शराब नहीं पीने की होगी चेतावनी
रविवार, 9 अक्टूबर 2022
खगड़िया की बेटी विशालाक्षी खेलेगी सिनियर नेशनल महिला टी ट्वेन्टी क्रिकेट टूर्नामेंट
खगड़िया रेलखण्ड में चलेगी सात जोड़ी पूजा स्पेशल ट्रेनें, प्रदेश से लौटना हुआ आसान
खगड़िया। रेलवे से दीपावली व छठ पर्व पर परदेस से बड़ी संख्या में घर लौटने वाले रेल यात्रियों को राहत की सफर देना का फैसला लिया है। यहां तक कि दूसरे प्रदेश से त्योहार स्पेशल ट्रेनें आने भी लगी। जी हां त्योहार स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ाई गई है। रेलवे ने खगड़िया रेलखंड होकर फिर चार जोड़ी त्योहार स्पेशल ट्रेन और चलाने की घोषणा की है। तीन जोड़ी साप्ताहिक स्पेशल ट्रेनें एक पखवारा पहले ही चलाने की घोषणा की गई थी। जिसमें सभी चारों साप्ताहिक ट्रेन सहरसा तक के लिए चलाई जाएगी। दो जोड़ी आनंदविहार से खुलेगी। जबकि एक नई दिल्ली व एक आनंदविहार से खुलेगी। जानकारी के अनुसार एक फेरी में 04022 डाउन व 04021 अप आनंदविहार टर्मिनल-सहरसा-आनंदविहार टर्मिनल पूजा स्पेशल ट्रेन आगामी 22 अक्टूबर को आनंदविहार से खुलेगी। अगले दिन 23 अक्टूबर को सहरसा पहुंचेगी। फिर इसी दिन वापस होगी। यह ट्रेन सिमरी बख्तियारपुर, खगड़िया रुकते हुए जाएगी।
इधर 04068 व 04067 नई दिल्ली-सहरसा पूजा स्पेशल ट्रेन आगामी 21, 26 व 29 अक्टूबर को नई दिल्ली से खुलेगी। वापसी में सहरसा से आगामी 22, 27 व 30 अक्टूबर को खुलेगी। वहीं 04016 व 04015 आनंद विहार टर्मिनल-सहरसा ट्रेन आगामी 23 व 26 अक्टूबर को नई दिल्ली से खुलेगी। जबकि सहरसा से वापस आगामी 24 व 27 अक्टूबर को चलेगी। इधर 04062 व 04061 आनंद विहार टर्मिनल-सहरसा त्योहार स्पेशल ट्रेन आगामी 21, 25 व 28 अक्टूबर को आनंदविहार से खुलेगी। वापसी में सहरसा से आगामी 22, 26 व 29 अक्टूबर को खुलेगी। यह ट्रेन भी सिमरी बख्तियारपुर, खगड़िया, बेगूसराय व बरौनी होते हुए चलेगी। बता दें कि इससे पहले तीन जोड़ी साप्ताहिक ट्रेन चलाने की घोषणा की जा चुकी हैं। जिसमें दो ट्रेन सहरसा तक चलेगी। जिसमें से एक अंबाला छावनी व एक आनंदविहार स्टेशन से चलकर सहरसा तक चलेगी। एक ट्रेन आनंदविहार से खुलकर कटिहार होते हुए जोगबनी तक चलायी जाएगी।
पहले तीन जोड़ी स्पेशल ट्रेनें दी गई: इससे पहले तीन जोड़ी साप्ताहिक त्योहार स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की जा चुकी है। जिसमें 01662 आनंदविहार-सहरसा त्योहर स्पेशल गत 29 सितंबर को खुलकर सहरसा आ रही है। वहीं 01661 सहरसा से गत 30 सितंबर को वापस लौटी थी। ट्रेन की दूसरी बार आई। फिर लौट भी गई। बता दें कि यह ट्रेन सप्ताह में दो दिन चलाई जा रही है। वहीं 05521 व 05522 अम्बाला छावनी-सहरसा के बीच चलाने का आदेश आ चुका है। साथ ही 04010 व 09 आनंदविहार-जोगबनी टे्रन सप्ताह में एक दिन चलाने की घोषणा की जा चुकी है। यह ट्रेन आनंदविहार से पहली बार आगामी 18 अक्टूबर को खुलेगी। जो खगड़िया में रूकते हुए जोगबनी तक चलेगी।
By: R@jeev
सोमवार, 5 सितंबर 2022
शिक्षकों को बेहतर वेतन से ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: एमएलसी
बोर्ड परीक्षा के जिला टॉपर किए गए पुरस्कृत, शिक्षक हुए सम्मानित
शिक्षक दिवस पर माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले सम्मान समारोह
शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं। जब तक शिक्षक अपने वेतन से संतुष्ट नहीं होंगे तब तक बच्चोंको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात नहीं की जा सकती है। शिक्षकों को पढ़ाने के साथ ही अपने हक व अधिकार के लिए लड़ने का भी काम करना पड़ रहा है। यह चिंताजनक है। यह बातें बिहार विधान परिषद सदस्य संजीव कुमार सिंह शनिवार को शहर के जेएनकेटी स्कूल सभागार में माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में शिक्षक दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में कही। संघ के जिला सचिव सूर्यनारायण यादव ने सूबे में पुरानी पेंशन योजना, शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की ओर एमएलसी का ध्यान दिलाया। कहा कि शिक्षकों को हर माह के पांच तारीख तक वेतन मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा। एरियर व अन्य लाभ का निष्पादन जल्द कराने का काम किया जाएगा। शिक्षकों को मजबूति के साथ हक व अधिकार के लिए लड़ाई लड़नी होगी। सम्मान समारोह में इंटर साइंस टॉपर आयुष कुमार, आर्ट्स टॉपर असिम मीर, कॉमर्स टॉपर अंजली, मैट्रिक टॉपर निशांत व जुली को प्रस्सतिपत्र व पाठय सामग्री देकर पुरस्कृत किया गया। वहीं शिक्षक से प्रोफेसर बने नवीन कुमार, प्रभाष्ज्ञ, राजेश, महेश चौधरी, डा. कुमारी सुमन, डायट में व्याख्याता बने डा. सुमित, राकेश, संजय, विक्रम, आशा सिन्हा, हाईस्कूल के एचएम पद पर नियुक्त हुए रंजीत कुमार, कंुदन कुमार सुमन, रमन, पुष्पलता व निलिमा कुमारी को शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया। वहीं सेवानिवृत शिक्षक प्रतापनारायण सिंह, देवचन्द्र झा, राज कुमार यादव सहित 23 को शॉल देकर सम्मानित किया गया। वहीं सघ के सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। इस दौरान डीईओ कृष्ण मोहन ठाकुर, एमडीएम डीपीओ कुमार अनुभव, पूर्व सचिव विष्णुदेव यादव, संघ के जिलाध्यक्ष डा. अभिनंदन कुमार, सदर अध्यक्ष राजीव सिंह, सचिव रंजन कुमार रवि, परीक्षा सचिव राजकिशोर राज, विनय कुमार सहित अखिल चौरसिया, नवीन कुमार, ब्रहमदेव राम, सुधांशु हिमांशु, रंजीव राय, नीतीश बली परवाना, सुभाष यादव, मुकेश कुमार, विजय सिंह आदि थे।
गुरुवार, 1 सितंबर 2022
खगड़िया के सन्हौली स्थित दुर्गा मंदिर की है पौराणिक मान्यता
दो सौ साल पहले खेत में देवी मां की प्रतिमा निकली थी, जो आज भी है मंदिर में स्थापित
पुजारी को मां ने स्वप्न में गांव के दक्षिण दिशा में प्रतिमा स्थापित करने को कहा था
खगड़िया शहर के सन्हौली स्थित मंदिर में मां दुर्गा की स्थापित प्रतिमा की पौराणिक मान्यता है। दो सौ साल पहले खेत से मिली मां की प्रतिमा आज भी मंदिर में स्थापित है। मंदिर में मां की शक्ति रूप में प्रतिमा स्थापित कर पूजा आराधना होती है। माना जाता है कि मंदिर के वर्तमान मुख्य पुजारी पंडित बोलबम ठाकुर के पूर्वजवों को दो सौ साल पहले सन्हौली गांव के पास मोइन कमला घार के पास से मां की प्रतिमा मिली थी, जिसे गांव के ठाकुरबाड़ी में स्थापित कर पूजा अर्चना की जाने लगी। इसके कुछ दिनों बाद उस पुजारी के स्वप्न में मां ने आकर प्रतिमा को गांव के दक्षिण दिशा में स्थापित करने को कहा। जिस पर पुजारी ने पूर्व विधायक केदार नारायण सिंह व गांव के गणमान्य लोगों से विचार विमर्श बाद वर्तमान के मंदिर स्थल पर प्रतिमा स्थापित किया गया। तब से वहां मां दुर्गा की प्रतिमा निर्माण कर हर साल पूजा की जा रही है। आज मंदिर भव्य रूप में बना है।
सन्हौली दुर्गा मंदिर में स्थापित मूर्ति।श्री दुर्गा स्थान सन्हौली की है महिला अपार: इस मंदिर की दूर दूर तक ख्याति है। शहर से लेकर जिले के विभिन्न हिस्से से लोग मां के दर्शन के लिए पहंुचते हैं। मंदिर के प्रति आस्था बड़ी है। यहां कलश स्थापन के साथ से ही पूजा अर्चना के लिए बड़ी भीड़ लगने लगती है। नवमी व दशमी पर तो मां के दर्शन व प्रसाद चढ़ाने के लिए काफी भीड़ उमड़ पड़ती है। खास बात यह है कि यहां नवमीं की सुबह से ही पाठा की बली दी जाती है, जो शाम तक चलती है। कहा जाता है कि पन्द्रह सौ से दो हजार के बीच पाठा की बली चढ़ती है। लोगों की मन्नते पूरी होने पर पाठा चढ़ाने की आस्था दूर-दूर तक फैली है। यहां की परंपरा यह है कि दशवीं के दिन शाम में ही मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के लिए उठाई जाती है। पूरे गांव का भ्रमण कराया जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही स्वरूप में मां की प्रतिमा स्थापित होती आ रही है।
नवरात्रा में शाम में होती है महा आरती: नवरात्रा पर मंदिर में शाम में महा आरती होती है। महा आरती में बड़ी संख्या में व्रति व श्रद्धालु शरीक होते हैं। सुबह व शाम में भी पूजा व आराधाना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। नवमी व दशवी के दिन तो भीड़ उमड़ पड़ती है। मुख्य पुजारी पंडित बोलबम ठाकुर बताते हैं कि नवरात्रा पर नौ दिनों तक हर दिन अलग-अलग तरह के प्रसाद का वितरण श्रद्धालुओं के बीच किया जाता है। वहीं नौ दिनों तक देवी जागरण का भी कार्यक्रम होता है।
भागलपुर के कलाकार बनाते आ रहे हैं प्रतिमा: श्री दुर्गा स्थान सन्हौली में स्थापित मां की प्रतिमा भागलपुर जिले के कलाकार द्वारा ही बनाई जा रही है। वर्तमान में जो कलाकार प्रतिमा बना रहे हैं, इससे पहले उनके पीढ़ी ही बनाते थे। बताया जाता है कि चाचा व भतिजा मिलकर प्रतिमा बनाते हैं। मुर्तिकार मां की एक ही स्वरूप में बनाते आ रहे हैं। मां की भव्य प्रतिमा भी खास बनती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु जेवरात भी चढ़ाते हैं।
मंदिर में उमड़ती है भीड़: दुर्गा पूजा पर मां के दर्शन व पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। अहले सुबह से जो भीड़ शुरू होती है लगातार लगी रहती है। मंदिर के प्रति लोगों की आस्था ही है कि यहां दर्शन व प्रसाद चढ़ाने के लिए हर कोई पहंुचते से खुद को नहीं रोक पाते हैं। महाआरती में दो से ढाई हजार भीड़ लगती है। पट खुलने पर यहां भीड़ काफी चलगती है। यहां वैसे तो पंडाला खास रूप में नहीं बनाया जाता है। साधारण पंडाल बनाया जाता है। लाइटिंग व गेट का निर्माण किया जाता है।
ट्रस्ट से संचालित है पूजा: श्री दुर्गा स्थान सन्हौली में दुर्गा पूजा का आयोजन ट्रस्ट के माध्यम से होता है। पांच लाख से अधिक का व्यय होता है। दो लाख तो पंडाल व लाइटिंग में ही लग जाता है। कमेटी द्वारा पूजा का खर्चा गांव व आसपास में चंदा इकट्ठा कर करते हैं। मंदिर की रसीद काटकर स्वेच्छा से जो लोग चंदा देते हैं वे लेते हैं। बताया गया कि समिति में अभी अध्यक्ष विजय रजक हैं। जबकि मंत्री नंदकिशोर सिंह, सचिव शेखर सिंह, सदस्य राकेश मोहन, मनीष कुमार सिंह, टिंकु सिंह सहित गांव के युवा व बुजुर्ग मिलकर शांति से प्रतिमा स्थापित करते हैं।
By: Rajeev
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम: शुरू होने से पहले ठंडे बस्ते में हुई गुम
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम: शुरू होने से पहले ठंडे बस्ते में हुई गुम
साल 2020 में शुरू होने वाली पढ़ना लिखना अभियान धरातल पर आने से पहले हो चुकी है बंद
15 आयु वर्ष उपर के असाक्षर महिला व पुरूष को गत अप्रैल से साक्षर करने की शुरू होनी थी केन्द्र
विभागीय पत्र मार्च में आई तो जिले में असाक्षरों को सर्वें की सुगबुगुहाट हुई शुरू
केन्द्र शुरू करने को लेकर गाइडलाइन व आवंटन आज तक नहीं आई, कार्यक्रम पर लगता नजर आ रहा है ग्रहण
खगड़िया जिले के असाक्षर महिला व पुरूषों को साक्षर करने की योजना शुरू होने से पहले ही ठंडे बस्ते में गुम हो गई। जी हां केन्द्र प्रायोजित नव भारत साक्षरता कार्यक्रम इस साल के अप्रैल माह से शुरू करनी थी, जो अबतक किसी गाइडलाइन व आवंटन के अभाव में शुरू नहीं हो सकी थी। यहीं हाल साल 2020 में भी शुरू की जाने वाली केन्द्र प्रायोजित पढ़ना लिखना अभियान धरातल पर उतरने से पहले ही फाइलों में बंद की जा चुकी है। बताया जाता है कि साल 2020 में केन्द्र सरकार द्वारा योजना को लंच किया गया था। हालांकि उस साल के वित्तीय साल के अंतिम माह में जिले को गाइडलाइन उपलब्ध कराते हुए केन्द्र संचालित करने को कहा गया था। पर, आवंटन जिले को उपलब्ध नहीं कराया जा सका था। इसके दूसरे साल नई योजना नव भारत साक्षरता कार्यक्रम लाया गया, इसका भी वैसा ही हाल होता नजर आता है। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम की बात करें तो इस साल के मार्च माह के अंत में विभागीय स्तर से गांव से लेकर शहर तक के 15 वर्ष आयु वर्ग से उपर के सभी जाति व धमार्ें के असाक्षर महिला व पुरूषों को साक्षर करने के लिए केन्द्र संचालत करने का लेटर आया था। जिस पर जिले में असाक्षरों को सर्वें करने का काम भी शुरू कर दी गई थी। यहां तक कि गत अप्रैल से साक्षरता केन्द्र शुरू करने की तैयारी भी विभाग करने को तैयारी में थी। पर, आज तक किसी तरह की केन्द्र संचालन को लेकर ना तो गाइडलाइन आई और ना ही आवंटन ही जिले को मिल सका। ऐसी स्थिति में सर्वें का कार्य भी बीच मजझार में ही छोड़ देनी पड़ी। वैसे जिले में फिलहाल मुख्यमंत्री असक्षर आंचल योजना के तहत दलित व महादिल वर्ग के महिलाओं को साक्षर की जा रही है। नव साक्षर हुई 13 हजार 520 महिलाओं को आगामी 25 सितम्ब को बुनियादी साक्षरता महापरीक्षा में शामिल कराने की तैयारी की जा रही है। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम शुरू होता तो असाक्षर पुरूष भी साक्षर हो पाते। असाक्षरों को बुनियादी शिक्षा के तहत पढ़ना, लिखना सहित सरकार स्तर से संचालित कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी मिलती।यह कार्यक्रम अगले पांच साल यानि 2027 तक संचालित करने का आदेश आया था।
साक्षरता केन्द्रों पर असाक्षरों को वीटी से पढ़ाने की थी व्यवस्था: साक्षरता केन्द्रों पर असाक्षर महिला व पुरूषों को स्वयं सेवक (वीटी) साक्षर करने की योजना बनाई गई थी। वीटी के रूप में स्थानीय स्तर के छात्र-छात्राएं, सेवानिवृत कर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता आदि को जिम्मेदारी दी जानी थी। स्वेच्छा से शिक्षा दान करने वालों को वीटी के रूप में चयन करने की बात कही गई थी। हर दस असाक्षरों को पढ़ाने के लिए एक वीटी लगनी थी। केन्द्र टोला व मुहल्ला में ही संचालित होनी है।
मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत महिलाएं हो रही है साक्षर: जिले में वर्तमान में बिहार सरकार की मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत असाक्षर महादलित व दलित महिलाओं को साक्षर करने की मुहिम चल रही है। इस योजना के तहत 15 से 45 साल उम्र तक के महादलित व दलित, अल्पसंख्यक असाक्षर महिलाओं को साक्षर करने के लिए 687 साक्षरता केन्द्रों पर शिक्षा सेवक व तालिमी मरकज जिम्मेदारी है। यह योजना 10 दिसम्बर 2012 में शुरू हुई थी। साक्षर होने वाली महिलाओं की बुनियादी साक्षरता परीक्षा लेकर प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाता है।
साक्षर भारत कार्यक्रम अब हो गई है बंद: जिले में चल रही केन्द्र प्रायोजित साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत असाक्षरों को साक्षर करने की योजना अब बंद कर दी गई है। जिसमें 15 आयु वर्ग से उपर के असाक्षर महिला व पुरूषों को साक्षर किया जा रहा था। बताया जाता है कि यह कार्यक्रम 2010 में शुरू हुई थी, जो साल 2018 में बंद कर दी गई। बताया गया कि इस बीच जिले में तीन लाख से अधिक असाक्षरों को साक्षर किया गया।
केन्द्र प्रायोजित पढ़ना लिखना अभियान धरातल पर उतरने से पहले ही फाइलों में बंद हो चुकी है। बता दें कि साल 2020 में केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना को लंच किया गया था। हालांकि उस साल के वित्तीय साल के अंतिम माह में जिले को गाइडलाइन उपलब्ध कराते हुए केन्द्र संचालित करने को कहा भी गया था। पर, आवंटन जिले को उपलब्ध नहीं हुआ। हालांकि जिला स्तर पर केन्द्र संचालन को लेकर बैठक भी हुई। जिले को 16 हजार के करीब असाक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य भी मिला था। सूत्रों की मानें तो इस अभियान के तहत असाक्षरों को पढ़ाने के लिए वीटी का भी चयन कर लिए जाने की बात कही गई। पर, बाद में योजना को बंद कर अब नव भारत साक्षरता कार्यक्रम को लाया गया है।
By: Rajeev
बुधवार, 3 अगस्त 2022
देश आजादी में खगड़िया रही शहीदों की धरती
खगड़िया। देश की आजादी को जिले के कई लोगों ने अपनी शहादत दी। इन वीर शहीदों में महज 21 साल की उम्र में सदर प्रखंड के माड़र गांव के स्नातक के छात्र प्रभुनारायण सिंह ने भी शहादत दे जिले को गौरवान्वित कर दिया। उनका घर सदर प्रखंड अन्तर्गत माड़र गांव में था। वे भाई में अकेले थे। शहर के होमगार्ड ऑफिस रोड के स्वतंत्रता सेनानी भरत पोद्दार बताते हैं शहीद प्रभुनारायण बनारस यूनिवर्सिटी के छात्र थे। वहां स्वतंत्रता आन्दोलन की रोज एक घंटे रोज पढ़ाई होती थी। महात्मा गांधी ने जब 9 अगस्त 1942 में जब अंग्रेजों भारत छोडा़े का नारा दिया ते आजादी के दीवाने क्रांतिकारी शहीद प्रभुनारायण बनारस से 12 अगस्त की शाम खगड़िया के लिए प्रस्थान कर गए। खगड़िया जब पहुंचे तो गांव भी नहीं गए। शहर से सटे सन्हौली गांव जाकर अपने नौजवान साथियों को तिरंगा झंडा के साथ एकत्रित किया। वहां से अंग्रेजों का विरोध करते हुए खगड़िया मुंगेरिया चौक की ओर कूच गए। वहां पर कैंप कर रहे अंग्रेज सिपाहियों ने तिरंगा थामे प्रभुनारायण को गोली मारने की धमकी दी। अंग्रेज सिपाहियों की धमकी को अनसुना करते साहसी प्रभुनारायण अपनी कमीज का बटन खोलते हुए कहा कि वे पीछे नहीं हटेंगे। तिरंगा लेकर जैसे ही आगे बढ़े अंग्रजों ने उन्हें तीन गोलियां दाग दी। जिसमें दो गोली उसके सीने तथा एक गोली पैर में लगी। वही पर 13 अगस्त को 1942 को वे शहीद हो गए। वे बताते हैं कि उस समय प्रभुनारायण के साथ वे भी उनके साथ थे। गोली चलने के बाद सभी लोग तितर बितर हो गए।
शहर के राष्ट्रीय हाईस्कूल में रखा गया था पार्थिव शरीर: शहादत के बाद उनका पार्थिव शरीर शहर के राष्ट्रीय उच्च विद्यालय में रखा गया। जहां देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ पड़ी। अंग्रेजों के प्रति लोगों के चेहरे पर गम व गुस्सा खासा देखा जा रहा था। दूसरे दिन सुबह शवयात्रा निकलकर उनके माड़र पहुंचा। जहां नवटोलिया गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया। जहां अश्रूपूरित नेत्रों से लोगों ने अपने लाल को अंतिम विदाई दी।
बचपन से ही थे आंदोलनकारी
प्रभुनारायण का जन्म 1921 में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा रामगंज में व माध्यमिक शिक्षा श्यामलाल हाईस्कूल में हुई थी। शीतल प्रसाद सिंह व चंपा देवी के इकलौते संतान प्रभुनारायण बचपन से ही आन्दोलनकारी थे। उन्होंने संघर्ष कर न केवल गांव बल्कि आसपास के गांवों में भी मजदूरों को उचित मजदूरी दिलवायी थी। जिस समय शहीद प्रभुनारायण की शहादत हुई उस समय उनकी पत्नी सिया देवी गर्भवती थी। पुत्र के जन्म होने पर उसका नाम हिम्मत प्रसाद सिंह रखा गया।
जहां शहीद हुए लोगों ने लगा दी प्रतिमा
शहीद प्रभुनारायण जहां शहादत दी उस स्थल पर लोगों ने वीर सेनानी की प्रतिमा स्थापित कर दी। वहीं माड़र उत्तरी गांव में भी उनके सम्मान में स्मारक की स्थापना की गई। अमर शहीद प्रभुनारायण सिंह स्मारक निर्माण समिति के संयोजक विजय कुमार सिंह बनाए गए। वही कमेटी के अन्य सदस्यों में नरसिंह मंडल, रामसकल शर्मा, मुरली मनोहर भारती, शंभूनाथ मंडल आदि बताते हैं कि स्मारक स्थल पर हर साल उनके शहादत दिवस पर 13 अगस्त को झंडा झुकाकर राष्ट्रीय शोक मनाया जाता है।
शहर के मुंगेरिया चौक पर स्थापित शहीद प्रभुनारायण की प्रतिमा।
शनिवार, 23 जुलाई 2022
खगड़िया में बैकलॉग सहित 3488 पदों पर होगी शिक्षकों की नियुक्ति
खगड़िया जिले में सातवें चरण में 3488 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। छात्र अनुपात में इस बार शिक्षक के पद भरे जाएंगे। कक्षा एक से पांचवीं तक में 1649 सीट चिह्नित किए गए हैं। जबकि कक्षा छह से आठवीं तक में विषयवार 1839 सीट पर बहाली संभावित है। इन सीटों में छठे चरण की बची 786 सीट भी शामिल किया गया है। जिसमें कक्षा एक से पांचवी के 534 बीच सीट है। जबकि कक्षा छह से आठवीं के 252 सीट भी जुड़ा है। गत 31 मार्च तक सेवानिवृत्त, त्यागपत्र व सेवामुक्त होने के कारण रिक्त 62 सीट शामिल है। जिसमें प्राइमरी के लिए 60 रिक्त पद व मिडिल स्कूल के लिए 22 सीट शामिल है। छात्र अनुपात में इस बार चिह्नित किए गए कुल रिक्ति 2620 है। जिसमें कक्षा एक से पांचवीं में 1055 व कक्षा छह से आठवीं में 1565 सीट चिह्नित किए गए हैं। बता दें कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने गत 26 मई को पत्र जारी कर सभी डीईओ व डीपीओ स्थापना से बिते 31 मार्च 2022 की स्थित के अनुसार स्कूलावार व इकाईवार रिक्त पदों की गणना करने का आदेश दिया था। जिसके आधार पर गत 15 दिन पहले जिले से चिह्नित रिक्ति को राज्य भेजा गया था।
सदर प्रखंड के 86 रिक्त सीट पर महज 39 अभ्यर्थियों का हुआ था चयन: सदर प्रखंड अंतर्गत 16 पंचायतों में नियोजन की प्रक्रिया हुई। जिसमें 86 रिक्त सीट पर महज 39 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। अलौली प्रखंड अंतर्गत 19 पंचायतों में 91 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन किया गया था। मानसी प्रखंड अंतर्गत चार पंचायतों में 28 सीट पर महज नौ का चयन हो पाया था। वहीं चौथम प्रखंड अंतर्गत 11 पंचायत नियोजन इकाईयों में 46 सीट में 23 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। गोगरी प्रखंड अंतर्गत 14 पंचायत नियोजन इकाईयों में रिक्त 60 सीट में 30 सीट ही भर सका। बेलदौर के 13 पंचायतों में 93 सीट में 41 अभ्यर्थी चयनित हुए थे। परबत्ता अंतर्गत 16 पंचायत नियोजन इकाईयों में शिक्षक के 80 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन हो पाया था। जिलेके विभिन्न 93 पंचायत नियोजन इकाईयों में काउंसिलिंग हुई थी।
शनिवार, 2 जुलाई 2022
खगड़िया जिले में प्रारम्भिक स्कूल में सातवें चरण के लिए 3488 सीट चिन्हित
रविवार, 19 जून 2022
मुंगेर यूनिवर्सिटी: स्नातक पार्ट वन और टू की 20 जून को होने वाली परीक्षा हुई स्थगित
शुक्रवार, 17 जून 2022
खगड़िया जिले में 686 शिक्षा सेवक और तालीमी मरकज किए गए प्रतिनियोजित
20 जून तक नव प्रतिनियोजित स्कूल में करना है योगदान, पहली वार हुई है स्कूल की अदला बदली
खगड़िया जिले में 686 शिक्षा सेवक व तालिमी मरकजों को एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रतिनियोजित किया गया है। इसके साथ ही इन शिक्षासेवकों को आगामी 20 जून तक नव प्रतिनियोजित स्कूलों में योगदान देने का निर्देश मिला है। साक्षरता डीपीओ ने आदेश जारी कर स्कूलों के हेडमास्टरों को 18 जून तक सभी को विरमित करने को कहा है। ऐसा नहीं की स्थिति में प्रतिनियोजित कर्मी 19 जून से स्वत: विरमित माने जाएंगे।
विशेष सचिव सह निदेशक जन शिक्षा बिहार पटना के पत्रांक 739 दिनांक सात जुलाई 2021 एवं उप निदेशक जन शिक्षा के पत्रांक 687 दिनांक दो मई 2022 के आलोक में डीईओ के अनुमोदन के उपरांत साक्षरता डीपीओ कुणाल कुमार ने तीन वर्षों से अधिक एक ही स्कूल में कार्यरत शिक्षासेवकों को प्रखंड अंतर्गत अन्यत्र स्कूल में प्रतिनियोजन किया गया है। परबत्ता 29 सेवक व तालिमी मरकजों का प्रतिनियोजन किया। मानसी में 19, चौथम 54, गोगरी 54, बेलदौर101, सदर 198 व अलौली240 शिक्षा सेवक व तालिमी मरकज एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रतियोजित किए गए हैं। इधर साक्षरता डीपीओ कुणाल गौरव ने बताया कि विभागीय पत्र के आलोक में डीईओ के अनुमोदन के उपरांत एक ही कई सालों के पदस्थापित शिक्षा सेवकों व तालिमी मरकजों का प्रतिनियोजन किया गया है।
नियोजन के बाद पहली बार इधर से उधर: जिले में टोला सेवक व तालिमी मरकजों को पहली बार एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रतिनियोजन कर पदस्थापित किया गया है। जिले में साल 2009 में टोला सेवक व तालिमी मरकजों की विभिन्न स्कूलों में नियोजन किया गया था। पहले एसएसए के अंतर्गत इनका नियोजन किया गया था। इसके बाद साल 2012 में इनका समायोजन केन्द्र से बिहार सरकार अपने अंदर कर लिया।
By: Rajeev
रविवार, 12 जून 2022
जिले के माध्यमिक स्कूलों में है लैब, पर नहीं होता है प्रायोगिक समान प्रयोग
खगड़िया जिले के राजकीयकृत माध्यमिक स्कूलों में लैब की व्यवस्था तो की गई। पर, छात्र व छात्राओं के लिए प्रायोगिक कक्षा नहीं के बराबर बताई जाती है। खासकर इंटरस्तरीय कई ऐसे स्कूल हैं, जहां साइंस की तीनों विषयों के सभी शिक्षक नहीं हैं। जाहिर है कि कहीं पूरी तरह से लैब व्यवस्थित नहीं है, तो कहीं लैब महज खानापूर्तिभर बताया जाता है। वहीं साइंस की शिक्षकों की भी समस्या बताया जाता है। श्रीकृष्ण हाईस्कूल ओलापुर गंगौर में साइंस के एक शिक्षक हैं, जो प्रभारी प्राचार्य भी हैं। यहां भौतिकी व रसायन शास्त्र के एक भी शिक्षक नहीं हैं। यहां सामाजिक विज्ञान विषय में एक पद हैं, पर वर्तमान में तीन शिक्षक ओवर यूनिट इस विषय में पदस्थापित बताए जाते हैं। इंटर स्कूल भदास में भी साइंस संकाय में महज फिजिक्स विषय में ही शिक्षक हैं।
लैब है। पर, स्टूडेंट्स को नहीं मिलती सुविधा: जिले के माध्यमिक स्कूलों में लैब की सुविधा तो है। पर, अधिकांश स्कूलों में साइंस के स्टूडेंटस को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई स्कूलों में फर्नीचर नहीं रहने से प्रायोगिक की सामान अलमीरा में रखे शोभा बढ़ा रही है। वहीं एक भी स्कूलों में लैब तकनीशियन नहीं है। यहां तक कि कई स्कूलों में साइंस के शिक्षकों की भी अभाव बताया जाता है। ऐसे में प्रायोगिक की सामान रहते हुए भी बेकार साबित हो रहा है। जिले के अधिकांश स्कूलों में लैब का उद्देश्य साकार नहीं हो रहा है। इधर बता दें कि साल 2019 में श्रीकृष्ण हाईस्कूल ओलापुर गंगौर को शिक्षा विभाग द्वारा तीन लाख राशि की लैब का सामान उपलब्ध कराया गया था। पर, फर्नीचर की व्यवस्था नहीं की गई। जिससे लैब के सभी सामान को अलमीरा में रखने की मजबूरी है। ऐसे में छात्र व छात्राओं को सही सरीके से प्रायोगिक कक्षा लेने में समस्या बनी है। इधर इंटर स्कूल भदास में साल 2017-18 में तीन लाख राशि लैब के लिए दी गई थी। जिससे सामग्री की खरीद की गई थी। हालांकि यहां लैब रूम में फर्नीचर की व्यवस्था पहले से रहने से व्यवस्थित जरूर देखा जाता है। इसी साल कुछ और स्कूलों को तीन लाख दिए गए थे। वहीं कई स्कूलों को पांच लाख दिए गए थे। जिससे फर्नीचर की भी खरीदारी करनी थी। यह राशि योजना एवं लेखा संभाग द्वारा स्कूलों को उपलब्ध कराया गया था। जिसका कई स्कूलों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र भी दिया। अधिकांश स्कूलों में लैब व्यवस्थित आज तक नहीं हो सका है। यहां तक कहा जाता है कि कई स्कूलों में लैब की सामान की खरीदारी सही से नहीं की गई। जो जांच के बाद ही सामने आ सकता है।
जिले में राजकीयकृत हाईस्कूलों में की गई है सुविधा: जिले में राजकीयकृत 41 माध्यमिक स्कूलों में कई चरणों में लैब की सामान व राशि उपलब्ध कराए गए। हालांकि जिले में वर्तमान में उत्क्रमित हाईस्कूल सहित 137 माध्यमिक व इंटर स्तरीय स्कूल हैं। उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों में लैब की व्यवस्था नहीं हो सकी है। सूत्रों की मानें तो साल 2019 में दो दर्जन के करीब माध्यमिक स्कूलों को तीन लाख की राशि से शिक्षा विभाग द्वारा ही लैब की सामान उपलब्ध कराया गया था। इससे पहले 2017-19 सत्र में भी कुछ स्कूलों को लैब की सामग्री खरीद के लिए तीन-तीन लाख रुपए दिए गए थे। वहीं कुछ स्कूलों को फर्नीचर के लिए अलग से दो-दो लाख भी दिए गए। पर, आज स्थिति यह है कि यह व्यवस्थित नहीं नजर आती है।
खगड़िया जिले में गर्ल्स हॉस्टल नहीं, कॉलेजों में पढ़ाई करने वाली बालिका शहर में कैसे रहकर पढ़ेगी
खगड़िया जिले के सुदूर गांव व दूसरे जिले से पढ़ाई करने आने वाली लड़कियों के लिए कॉलेजों में महिला छात्रावास की सुविधा सालों के बाद भी नहीं हो सका है। जिससे लड़कियों को शहर आकर उच्च शिक्षा हासिल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
नियमित रूप से कॉलेज नहीं कर पाती है। यहां तक कि कोचिंग करने में शहर आने में भी असुविधा उठानी पड़ती है। जबकि इंटर व स्नातक में अब ऑनलाइन नामांकन व्यवस्था में एक जिले से दूसरे जिले में कॉलेज में दाखिला मिल रहा है। इन सब के बीच अकेली लड़कियों को शहर में रहकर पढ़ाई करनी समस्या है। इस सब के बीच साल 2009 में कोशी कॉलेज परिसर में सौ बेड के बन रहेमहिला छात्रावास आज तक अधूरा पड़ा है। वहीं जिले के एकमात्र महिला कॉलेज में छात्रावास की भूमि पर अतिक्रमण के कारण 2008 में शिलान्यास के बाद भी निर्माण नहीं हो सका। गोगरी व परबत्ता स्थित कॉलेज में भी लड़कियों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं है। कोशी कॉलेज में सौ बेड का दो मंजिला छात्रावास बनकर अधूरा पड़ा है। साल 2014 से यथावत स्थिति है। यूजीसी से सेकेंड किस्त की राशि आवंटित नहीं होने से निर्माण अधूरा पड़ा है। यूजीसी की 11वीं पंचवीं योजना के तहत 80 लाख लागत से सौ बेड का महिला छात्रावास का निर्माण की स्वीकृति उपरांत 26 अक्टूबर 2009 में तत्कालीन कुलपति प्रेमा झा के शिलान्यास के बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया।
निर्माण पूरा से पहले ही टूटने लगा है छज्जा: कोशी कॉलेज में निर्माणाधीन महिला छात्रावास का अब तो छज्जा भी टूटकर गिरने लगा है। साल 2014 से दो मंजिला बने भवन अधूरा पड़ा है। मेन गेट में ग्रिड लगा है। निर्माण कार्य आगे नहीं होने से अब भवन की दीवार पर घास फुस लग गए हैं।
खगड़िया के एक मात्र महिला कॉलेज में भी हॉस्टल नहीं: जिले का एकमात्र महिला कॉलेज में बालिका छात्रावास निर्माण का सपना पूरा नहीं हो सका है। शहर के बलुवाही स्थित बिस्कोमान भवन स्थित छात्रावास की प्रस्तावित 14 कट्ठा 18 धूर जमीन पर यूजीसी फंड के 80 लाख की लागत से सौ बेड के हॉस्टल निर्माण की आधारशिला तत्कालीन वीसी ने 2008 में की थी। भूखंड अतिक्रमित रहने से निर्माण शुरू नहीं हुआ। जो आज तक नहीं हो सका। दो साल पहले यूजीसी से मिली पहली किस्त की 40 लाख राशि वापस भी हो गई है। इस साल के 1 फरवरी को प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की पर, भूखंड अतिक्रमणमुक्त नहीं हुआ। पांच जून को छात्रावास की भूखंड की चाहरदीवारी को विधायक ने आधारशिला रखी है।
कहते हैं प्राचार्य
अधूरे महिला छात्रावास निर्माण पूरा कराया जाएगा। यूजीसी के कलकत्ता स्थित कार्यालय से हॉस्टल की बची सेकेंड किस्त की राशि उपलब्ध कराने की पहल होगी।
- डॉ. जयनंदन सिंह, प्राचार्य, कोशी कॉलेज
बुधवार, 8 जून 2022
खगड़िया जिले में प्रारंभिक परीक्षा में 25 फीसदी भी नहीं रहा स्टूडेंट्स का ए ग्रेड रिजल्ट
खगड़िया जिले में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंटस की वार्षिक परीक्षा सह मूल्यांकन का रिजल्ट वर्गवार ग्रेड जारी किया गया। जिसमें ए ग्रेड 25 फीसदी भी नहीं रहा। हां यह बात और है कि इस बार ई ग्रेड जो बहुत कमजोर माना जाता है एक भी बच्चे का नहीं रहा है। दरअसल पांचवीं व आठवीं कक्षा के बच्चों की वार्षिक परीक्षा पहले ली गई। फिर इसके बाद अन्य कक्षाओं के छात्राओं का मूल्यांकन किया गया। जिले के 1061 प्रारंभिक स्कूलों में पांचवीं कक्षा में नामांकित बच्चों में से 88.97 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा दी। जिसमें ए ग्रेड महज 14.647 बच्चों ने ही लाया। बी ग्रेड 58.61 प्रतिशत बच्चों का रिजल्ट रहा। जबकि सी ग्रेड 24.17 व डी ग्रेड 2.566 प्रतिशत रहा। वहीं आठवीं क्षा में 90.09 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा दी। जिसमें 20.473 प्रतिशत बच्चों ने ए ग्रेड लाया। जबकि 60.25 प्रतिशत बच्चों को बी ग्रेड, 17.21 बच्चों ने सी ग्रेड व 2.062 प्रतिशत डी ग्रेड लाया। सबसे अधिक बच्चों ने बी ग्रेड लाया है।
अन्य कक्षाओं में ओवर ऑल महज 14.22 प्रतिशत बच्चों ने ही लाया ए ग्रेड: कक्षा एक से चार तक व छह व सातवीं कक्षा तक की परीक्षा में ओवर ा ऑल ए ग्रेड महज 14.22 प्रतिशत बच्चों का ही रिजल्ट रहा। कक्षा एक में महज 14.21 प्रतिशत बच्चों का ही ए ग्रेड रिजल्ट रहा। वहीं कक्षा दो में महज 13.60 प्रतिशत ही ग्रेड रिजल्ट रहा। कक्षा तीन में भी 13.63 प्रतिशत ही ए ग्रेड बच्चों ने लाया। वहीं कक्षा चार में 14.26 प्रतिशत ही बच्चों का ए ग्रेड रिजल्ट रहा। इधर कक्षा छह में सबसे अधिक 15.22 प्रतिशत बच्चों का ए ग्रेड आया। जबकि कक्षा सातवीं में महज 14.69 प्रतिशत को ही ए ग्रेड रिजल्ट में मिला। इधर कोरोना के दाौरान परीक्षा नहीं होेने के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि दोबारा से शिक्षा व्यवस्था अब पटरीपर लाौटने लगी है लेकिन लोगों को सिपर्फ एक ही भय है कि अब दोबारा पिफर से कोरोना का कहर शुरू नहीं हो। एसएसए के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शौलेन्द्र कुमार ने कहा कि स बार दो साल बाद स्कूलों में वार्षिक परीक्षा आयोजित हुई थी। परीक्षा का रिजल्ट प्रतिशत में एक भी बच्चे का ई ग्रेड नहीं मिला है। ऐसे में रिजल्ट प्रतिशत अच्छा है।
दो साल बाद हुई थी स्कूलों में परीक्षा: कोरोना काल के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों को बिना परीक्षा के ही दो साल अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया था। साल 2020 की मार्च में परीक्षा लेने की तिथि भी निर्धारित हो गई थी। यहां तक कि प्रश्नपत्र भी छपकर आ गया था। इसी बीच कोरोना के कारण स्कूल बंद हो गए थे। इसके बाद सभी छात्र व छात्राओं की परीक्षा स्थगित हो गई थी। फिर बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा में सभी को प्रमोट किया गया। 2021 में भी कोरोना के कारण परीक्षा नहीं हुई थी। दो साल पर इस साल मार्च माह में परीक्षा ली गई थी।
इस साल के मार्च माह में ली गई थी 2021-22 सत्र की परीक्षा: जिले के प्रारंभिक स्कूलों में पांचवी व आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा गत सात मार्च से 10 मार्च तक ली गई थी। बता दें कि सात मार्च को भाषा व अंग्रेजी विषय की परीक्षा हुई थी। वहीं आठ मार्च को गणित, पर्यावरण व सामाजिक विज्ञान, नौ मार्च को विज्ञान व संस्कृत केवल व 10 मार्च को हिन्दी व शैक्षणिक गतिविधि हुई थी। जबकि गत 25 से 29 मार्च तक कक्षा एक से चतुर्थ व कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चों का वार्षिक मूल्यांकन हुआ था। मुल्यांकन के बाद से हरी किसी को परिणाम जानने की उत्सुकता बनी हुई थी।
सोमवार, 6 जून 2022
डाउन नॉर्थइस्ट टे्रन में स्कॉट पार्टी पर चाकू से हमला
कटिहार स्कार्ट पार्टी के एक सिपाही हुआ घायल, दो अपराधी हुआ फरार
बेगूसराय बाद मारी थी चाकू, खगड़िया में उतारकर कराया गया इलाज
खगड़िया।
टे्रन में रेल यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे कहे तों कोई दोराय नहीं है। खासकर रात में सफर करने वाले रेल यात्रियों में सुरक्षा के प्रति चिंता है। जी हां ट्रेन में जग स्कॉट पार्टी खुद की रक्षा नहीं कर पाते हैं, तो यात्रियों की सुरक्षा कैसे करेंगे? यह इसलिए सवाल है कि डाउन 12506 नॉर्थइस्ट एक्सप्रेस ट्रेन में रविवार की अहले सुबह बरौनी-खगड़िया के बीच अपराधियों ने स्कॉट पार्टी के एक सदस्य को ही चाकू से घायल कर फरार हो गया। सूत्रों की मानें तो बरौनी स्टेशन पर ट्रेन में चल रहे स्कॉट पार्टी ने दो अपराधियों को रंगे हाथों दबोचा था। जिसमें से एक अपराधी ट्रेन खुलते ही किसी तरह भाग निकला। जबकि दूसरे अपराधी के बारें में कहा जाता है कि बेगूसराय रेलवे स्टेशन से ट्रेन खुलने के बाद स्कॉट पार्टी के एक सिपाही को ही चाकू मारकर घायल कर चलती ट्रेन से कूद कर भाग गया। जिसके बाद घायल सिपाही को खगड़िया स्टेशन पर उतारकर इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। घायल सिपाही की पहचान कटिहार स्कॉर्ट पार्टी के सिपाही ललन प्रसाद सिंह के रूप में हुई है।
सोमवार, 30 मई 2022
सातवें चरण की प्रारंभिक शिक्षक नियोजन की शुरू हुई तैयारी, अप्रैल में नोटिफिकेशन जारी होने की उम्मीद
खगड़िया में छठे चरण में 775 सीट से अधिक रह गए हैं सीट खाली, सातवें चरण में नए पद के साथ जुड़ेगी बची सीट
छठे चरण में प्रारम्भिक स्कूलों में 1320 पद में चयनित 554 अभ्यर्थियों को नियुक्त पत्र के लिए गया था बुलाया
खगड़िया से...
सूबे सहित खगड़िया जिले में सातवें चरण के प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षा विभाग ने सभी जिले के डीईओ व स्थापना डीपीओ से रिक्त सीटों की जानकारी मांगी गई है। जिला स्तर पर रिक्तियों व रोस्टर तैयार करने का शिडयूल भी तय किए गए हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में रिक्ति आने वाली है। जाहिर है कि जिले में ही छठे चरण की रिक्त बची 775 से अधिक सीट सातवें चरण की नियुक्ति में जुड़ जाएंगे। रिक्तियों की गणना करने का पत्र जारी होते हुए टीईटी व सीटीईटी पास अभ्यर्थियों में खुशी देखी जा रही है। छठे चरण की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही सातवें चरण की बहाली की चर्चा होने लगी थी। इस बीच विलंब होता देख अभ्यर्थियों ने पटना में धरना व प्रदर्शन पर भी बैठे तब जाकर विभाग ने रिक्तियों की रिपोर्ट जिले से तलब पत्र जारी की। प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने गत 26 मई को पत्र जारी कर सभी डीईओ व डीपीओ स्थापना से 31 मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार स्कूलवार व इकाईवार रिक्त पदों की गणना आगामी 30 जून तक करने को कहा है। साथ ही जिला स्तर पर रिक्त पदों के सापेक्ष रोस्टर बिंदु का क्लियरेंस आगामी 15 जुलाई तक पूरा करने को कहा है। वहीं नियोजन इकाईवार व कोटिवार रिक्त पदों को विभाग द्वारा तैयार किए जाने वाले पोर्टल पर आगामी 25 जुलाई तक अपलोड करना है। पत्र में साफ कहा गया है कि जुलाई माह के अंत तक विज्ञापन जारी किया जाएगा।
छठे चरण के शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया 2019 में हुई थी शुरू: छठे चरण की जिले में विभिन्न 101 नियोजन इकाईयों में विभिन्न विषय व कोटि के 1320 सीट पर बहाली के लिए साल 2019 में नियोजन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। जिसके अंतर्गत जिले में तीन राउंड तक हुई काउंसिलिंग में विभिन्न नियोजन इकाईयों में 554 अभ्यर्थियों का चयन नियुक्ति पत्र के लिए किया गया था। जिसमें चयनित नौ शिक्षक अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच में फर्जी पाया गया था। जिसमें इन अभ्यर्थियों के दावे को रद्द कर दिया गया। ऐसे में चयनित शेष 545 अभ्यर्थी बचे जिसे नियुक्ति पत्र के लिए बुलाया गया था। जिसमें से भी आधे दर्जन के करीब अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र लेने नहीं पहुंचे थे। इधर बता दें कि नगर क्षेत्र में जुड़े जिले के विभिन्न 13 पंचायतों में नियोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
प्रखंड शिक्षक की बड़ी संख्या में सीट रिक्त: सातों प्रखंड नियोजन इकाईयों में बड़ी संख्या में सीट रिक्त रह गई। सदर प्रखंड में 115 रिक्त सीट के विरुद्ध महज 46 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। जिसमें से एक अभ्यर्थी ने अपना दावा बाद में वापस ले लिया था। इधर मानसी प्रखंड में 28 सीट पर 16 का ही चयन हो पाया था। वहीं चौथम में 130 सीट पर महज 48 का चयन हो पाया। जबकि गोगरी प्रखंड में 184 सीट पर 76 का चयन हो पाया था। बेलदौर में 104 रिक्ति पर महज 36 का चयन हुआ। इधर परबत्ता प्रखंड में 108 रिक्ति में महज 43 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इधर नगर शिक्षक के तीन पद खाली रह गए। जिसमें नगर परिषद में दो व नगर पंचायत गोगरी में एक सीट रिक्त रहे।
पंचायत नियोजन इकाईयों में शिक्षक के पद रहे रिक्त: जिले के कई पंचायत नियोजन इकाईयां अंतर्गत स्कूलों में भी शिक्षक के सीट रिक्त रह गए। सदर प्रखंड अंतर्गत 16 पंचायतों में नियोजन की प्रक्रिया हुई। जिसमें 86 रिक्त सीट पर महज 39 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। वहीं अलौली प्रखंड अंतर्गत 19 पंचायतों में 91 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन किया गया था। मानसी प्रखंड अंतर्गत चार पंचायतों में 28 सीट पर महज नौ का चयन हो पाया था। वहीं चौथम प्रखंड अंतर्गत 11 पंचायत नियोजन इकाईयों में 46 सीट में 23 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। गोगरी प्रखंड अंतर्गत 14 पंचायत नियोजन इकाईयों में रिक्त 60 सीट में 30 सीट ही भर सका। बेलदौर के 13 पंचायतों में 93 सीट में 41 अभ्यर्थी चयनित हुए थे। परबत्ता अंतर्गत 16 पंचायत नियोजन इकाईयों में शिक्षक के 80 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन हो पाया था। जिलेके विभिन्न 93 पंचायत नियोजन इकाईयों में काउंसिलिंग हुई थी।
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के भी पद रह गए रिक्त: जिले में शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक के भी अधिकांश पद रिक्त रह गए। गत 28 मई को चार प्रखंड नियोजन इकाईयों अंतर्गत चयनित अभ्यर्थियों के बीच नियुक्ति पत्र बांटा गया था। गत 12 मई को हुई काउंसिलिंग में 32 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। जिसमें से अधिकांश अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र संस्थान के मान्यता नहीं रहने से रोक दिया गया। सदर प्रखंड में 11 में महज पांच को ही नियुक्तिपत्र बांटा गया। इधर बता दें कि अलौली, बेलदौर, मानसी, नगर परिषद व नगर पंचायत गोगरी नियोजन इकाईयों के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग नहीं हो सकी है।
By. Rajeev
सोमवार, 16 मई 2022
खगड़िया में एक स्कूल में नहीं पक रहा मध्याह्न भोजन, तीन सौ से अधिक बच्चे रह रहे भूखे, किचेन शेड नहीं से दिक्कत
मंगलवार, 10 मई 2022
खगड़िया जिला बना तो, विकास की लिखी कई गाथाएं...
खगड़िया जिले के रूप में 41 साल का सफर पूरा किया। इस सफर में कई उतार चढ़ाव भी देखे।
जिले ने अपने नाम अनेकों उपलब्धि जोड़े तो कई कसक आज भी बांकी है।
सात नदियों से घिरे खगड़िया के दर्जनों गांव हर साल बाढ़ की विभीषिका भी झेलती आ रही है।
स्थापना के बाद ये पहला अवसर है, जब 41वां स्थापना दिवस को समारोह के रूप में जिला मना रहा।
खगड़िया एक नजर में: 10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर खगड़िया स्वतंत्रता जिला बना। 30 अप्रेल 1981 को बिहार सरकार की अधिसूचना से जिला बना था। इससे पहले 1943-44 में खगड़िया अनुमंडल के रूप में मुंगेर जिला अंतर्गत बना था। खगड़िया का इतिहास गौरवशाली और कई मायनों में खास है। ये धरती पौराणिक धार्मिक रूप में मां कात्यायनी मंदिर शक्तिपीठ रूप में है। 52 कोठरी 53 द्वार की धरोहर है। कहते हैं कि 5वी शताब्दी पूर्व मुगल शासक अकबर के मंत्री टोडरमल ने जब यहां की भौगोलिक बनावट के करण जमीन की पैमाइश नहीं कर सके, तो इसे फरक कर दिया। तब से फरकिया नाम से जाना जाता है।
दो अनुमंडल, सात प्रखंड, अब दो नगर परिषद, तीन नगर पंचायत वाले जिला 10863 वर्ग किमी में फैला है। जहां सात नदियां भी बहती है। दो एनएच और कई रेलखंडों से जुड़ी खगड़िया सीमा से बेगूसराय, सहरसा, भागलपुर, समस्तीपुर, मधेपुरा और मुंगेर जिला लगती है। खगड़िया मक्का उत्पादन में एशिया में अव्वल है, तो ये दूध, दही, मछली की धरा के रूप में जानी जाती है। शहीदों की धरती भी रही है। देश को आजादी दिलाने में प्रभुनारायण और धन्ना-माधव ने अपनी प्राणों की आहुति थी। दानवीर कर्ण की धरती पर श्यामलाल और अवध बिहारी भी दानवीर हुए।
अपना खगड़िया इस 41 सालों में हर मुकाम पर तरक्की की कई गाथाएं लिखी है। चाहे खेल हो या राजनीति की पटल पर देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। इस लंबे सफर में अनेकों उपलब्धि नाम की, तो कुछ कसक अब भी बांकी है। इतिहास के पन्नों में कई स्वर्णिम मुकाम बनाई। तो इस धरती ने कई ऐसे हादसों को भी दिखाया है, जो आज भी लोगों को विचलित करती है। स्थापना काल के बाद से 41 वां स्थापना दिवस को जिला प्रशासन समारोह के रूप में मनाया।
खगड़िया में है कोशी का कैब्रिज: आजादी की याद को समेटे 1947 मेें स्थापित कोशी कॉलेज जिले की पहचान कोशी की कैब्रिज के रूप में दिलाई। तब के एसडीओ और स्थानीय शिक्षाविदों ने जमीन और धन दानकर इस शिक्षा की मंदिर को स्थापित किया था। आज भी अपनी भव्यता और नाम के साथ अतीत को बता रहा है। अब यहां पीजी स्तर तक की पढ़ाई होती है। महिला कॉलेज सहित चार स्नातक स्तरीय कॉलेज है।
1992 में खगड़िया जुड़ गया था व्यवसायिक शिक्षा से: 1992 में सूबे के कुुुछ गिने चुने जिले केे साथ खगड़िया में भी इंटर स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था हो गई थी। शहर के जेएनकेटी स्कूल में इसे स्थापित किया गया। साल 2011 से तकनीतिक शिक्षा की ओर कदम तेजी से बढ़ा। आज तीन iti college है। anm कॉलेज है। पोलटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज की भवन बनकर पढ़ाई के लिए तैयार खड़ा है। केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय है। सरकारी डीएलएड प्रशिक्षण केंद्र है। तीन बीएड कॉलेज भी खुला है। अभी 137 माध्यमिक और प्लस टू स्तरीय स्कूल है, जो हर पंचायत में स्थापित है। 1061 सरकारी प्रारम्भिक स्कूल है, जो हर टोले से जुड़ा है। अब गांव सीधे स्वास्थ्य सुविधा से जुड़ा है। खगड़िया को विकास के पथ पर बढ़ाने और नाम बढ़ाने में हर कोई ने जब जहां अवसर और मौका मिला कसर नहीं छोड़ी।
देश की राजनीति की पटल पर खगड़िया: देश ही नहीं विदेशों में खगड़िया की राजनीति की पहचान बनी है। जिले के अलौली प्रखंड के नदी पार के गांव शहरबन्नी से निकल कर तीन भाइयों ने देश की राजनीति में धाक जमाया। शहरबन्नी गांव मेें 1946 में जन्मे रामविलास पासवान ने वर्ष 1977 में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से पांच लाख से अधिक मतों से चुनाव जीतकर गिनीज बुक ऑफ व वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया, जो देश के इकलौते राजनेता थे। छह प्रधानमंत्री के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे। मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। पद्मभूषण सम्मान प्राप्त करने वाले वाले राज्य के वे पहले राजनेता हुए। वे राष्ट्रीय पार्टी बनाकर राजनीति की विरासत अपने पुत्र के हाथ सौपी। अब उनके छोटे भाई पशुपति पारस केंद्र में मंत्री हैं।
खगड़िया ने दी मुख्यमंत्री: जिले के सतीश प्रसाद सिंह वर्ष 1968 में सूबे मुख्यमंत्री बने थे। वे सूबे के छठे व पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 1968 में 27 जनवरी से 5 फरवरी तक वे मुख्यमंत्री रहे। वे पसराहा के पास अपने नाम पर सतीशनगर गांव बसाया।
खेल के मैदान पर खगड़िया: खेल के मैदान पर भी खगड़िया ने देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। गोगरी प्रखंड अन्तर्गत शिरनिया गांव के फुुुटबॉलर विधानचंद्र मिश्रा वर्ष 1965 में भारतीय टीम में चुने गए। पाकिस्तान के शीर मूल्तान में ईरान व रूस के खिलाफ गोलकर भारतीय टीम को जीत दिलायी थी। जलकौड़ा के फुटबॉलर मो सरफराज साल 2021 में बिहार सीनियर फुलबॉल टीम के कप्तान की जिम्मेदारी संभाली। 2019 में हुई संतोष ट्रॉफी में सरफराज ने बिहार की ओर से बंगाल में मेजबान टीम को एक गोल दागकर जीत दिलाई थी। मानसी के चकहुसैनी की नेहा सीनियर महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा बन चुकी है। खेल मंत्री से सम्मानित भी हो चुकी है। महिला क्रिकेट में विशालाक्षी और अपराजिता सीनियर महिला नेशनल मैच खेल जिला का मान बढ़ाई है। हॉकी में सोनम और ज्योति सब जूनियर महिला नेशनल खेली। नवनीत कौर और ख़ूबशु सीनियर महिला नेशनल खेल चुकी है। बालक हॉकी में भी नाम है।
योग और संगीत की भी बजी धुन: जिले की योगपरी श्रेया त्यागी चार साल की उम्र में ही वर्ष 2015 में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीत चुकी है। योग गुरु बाबा रामदेव ने नन्ही योग गुरु की उपाधि दी थी। दर्जनभर से अधिक अवार्ड से सम्मानित होकर जिले को योग में पहचान दिलाई। लोक गायक सुनील छैला बिहारी अंगिका गीत के माध्यम से सूबे के अलावा दूसरे प्रदेशों में जाने जाते हैं। एक दौर था जब हर जगह छैला बिहारी की गीत की धूम थी। इसके अलावे साहित्य में भी खगड़िया की लेखनी की पहचान है।
By- Rajeev
गुरुवार, 5 मई 2022
अपग्रेड हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी, पढ़ाई की हो रही कोरम
खगड़िया जिले में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों का टोटा है। आलम यह है कि स्कूलों में सभी विषयों की पढ़ाई के लिए शिक्षक नहीं हैं।
जिले में माध्यमिक स्तरीय स्कूलों की बात करें तो 137 माध्यमिक व उच्च स्तरीय स्कूल हैं। जिसमें 40 राजकीयकृत, 96 उत्क्रमित, एक अल्पसंख्यक स्कूल हैं। इन स्कूलों में माध्यमिक व इंटर स्तरीय 534 शिक्षक ही पदस्थापित हैं। इसके अलावा 18 वित्तरहित स्कूल भी हैं। बड़ी बात है कि अधिकांश उत्क्रमित माध्यमिक व प्लस टू स्कूलों में इस स्तरीय शिक्षक ही पदस्थापित नहीं हैं। कहीं है तो दो या तीन हैं। शेष विषय के शिक्षक नहीं रहने से पढ़ाई भी नहीं हो पाती है। ऐसे में बिना शिक्षक के स्टूडेंटस भगवान भरोसे पढ़ाई कर रहे हैं।
बिना पढ़ाई रिजल्ट बेहतर यह बात और है कि हाल के दो तीन सालों से मैट्रिक व इंटर के स्टूडेंटस बोर्ड की परीक्षा में बेहतर अंक से पास कर रहे हैं। जबकि कोरोना के कारण दो साल से पठन-पाठन भी प्रभावित रहा है। उत्क्रमित प्लस टू स्कूल कासिमपुर में एक भी इंटर स्तरीय शिक्षक नहीं हैं। पर, इस बार इंटर में सौ के करीब परीक्षार्थी इंटर पास की है। यह तो महज उदाहरण है। जानकार की मानें तो पिछले दो तीन साल से मैट्रिक व बोर्ड की परीक्षा में 50 प्रतिशत सवाल ऑब्जेक्टिव पूछे जा रहे हैं। इस बार तो ऑब्जेक्टिव व सब्जेक्टिव सवाल में अतिरिक्त 50-50 प्रतिशत प्रश्न थे। साथ ही उत्तरपुस्तिका की बेहतर मार्किंग की व्यवस्था किए जाने से भी रिजल्ट प्रतिशत अच्छा होने की बात कही जाती है।
माध्यमिक और प्लस टू स्कूलों में नियुक्ति नहीं
जिले में छठे चरण की शिक्षक नियोजन के तहत माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। बताया जाता है कि विभिन्न स्कूलों में 268 रिक्ति पदों पर बहाली होनी है। माध्यमिक शिक्षक के 121 सीट व उच्च माध्यमिक के 147 सीट के लिए नियोजन की प्रक्रिया हो रही है। बता दें कि जिले में पिछले माह काउंसिलिंग में अभ्यर्थियों का चयन किया जा चुका था। पर, नियुक्ति पत्र वितरण नहीं हो सका। अब कोर्ट के आदेश पर योग्य अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मौका दिया गया है। ऐसे में एक माह में नियोजन की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद की जा रही है। इधर बता दें कि जिले में प्रारंभिक शिक्षक के पांच सौ से अधिक पदों पर शिक्षकों का नियोजन गत फरवरी माह में किया गया है।
माध्यमिक स्कूलों में कई विषयों शिक्षक नहीं
जिले में खासकर उत्क्रमित माध्यमिक व प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है। यहां तक कि कई विषयों की पढ़ाई बिना शिक्षक के ही हो रही है। बता दें कि बिते कई साल पहले कई चरणों में 66 मिडिल स्कूलों को पहले माध्यमिक स्तरीय में अपग्रेड किया गया था। बाद में इंटरस्तरीय स्कूल का दर्जा भी दिया गया। पर, शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो सकी। आलम यह है कि कहीं एक तो कहीं दो शिक्षक के सहारे आर्ट्स, साइंस व कॉमर्स की पढ़ाई होती है। ऐसे में साइंस संकाय के भी अधिकांश स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। जिले में साल 2020 में माध्यमिक स्कूल विहीन शेष बचे 30 पंचायतों में मिडिल स्कूलों में नवम कक्षा में नामांकन लेकर माध्यमिक स्तरीय पढ़ाई की व्यवस्था की गई। यहां दसवीं में भी अब नामांकन लिया जा रहा है। पर, इन स्कूलों में एक भी माध्यमिक स्तरीय शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं।
इंटरस्तरीय बच्चों की पढ़ाई हो रही बिना शिक्षक: जिले में उत्क्रमित माध्यमिक व इंटर स्तरीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। अधिकांश में प्लस टू स्तरीय शिक्षक नहीं हैं। उत्क्रमित माध्यमिक स्कूल कासिमपुर में दसवीं से 12वीं तक की पढ़ाई होती है। साल 2015 में स्कूल अपग्रेड हुआ है। पर, एक भी इंटर स्तरीय शिक्षक नहीं हैं। यहां माध्यमिक स्तरीय दो शिक्षक हैं। इस बार मैट्रिक के 171 व इंटर में साइंस में 111 व आर्ट्स में 73 स्टूडेंटस बोर्ड की परीक्षा में शामिल भी कराए गए। इधर इंटर स्कूल मेहसौड़ी अतिथि शिक्षक के भरोसे है। यहां आर्ट्स संकाय में भी कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। वहीं माध्यमिक स्तरीय शिक्षक की भी कमी है। गणित व फिजिक्स विषय में एक-एक अतिथि शिक्षक हैं। साइंस संकाय की पढ़ाई की स्थिति को समझा जा सकता है।
मंगलवार, 3 मई 2022
खगड़िया-अलौली रेलखंड पर होगी स्पीड ट्रायल, दौड़ेगी मालगाड़ी
मंगलवार, 26 अप्रैल 2022
खगड़िया में 27 अप्रैल से स्कूलों का संचालन 10:30 तक
खगड़िया जिले में 40 डिग्री के पार तापमान
जिले में दो दिनों से फि र मौसम का पारा चढ़ा रहा। तापमान चालीस डिग्री के पार रहा। तेज धूप व गर्म हवा लोगों को कुम्हला रहा है।
रविवार को देह जला देने वाली धूप का आलम यह रहा कि लोग घर से बाहर निकलने से परहेज किया। जिसका असर सड़क पर लोगों की आवाजाही कम देखा गया। गर्म हवा से लोगों को घर में भी राहत नहीं मिल रही थी। लोग पंखे की हवा में भी गर्मी से कुम्हला रहे थे। सुबह से ही तेज धूप निकली थी। शाम पांच बजे बाद भी तापमान में नरमी नहीं हो पाई थी। देर शाम भी गर्म हवा से लोगों को राहत नहीं मिली।
बता दें कि दो दिन पहले तक मौसम खुशनुमा हो गई थी। तीन दिनों तक गर्मी से लोगों को हद तक राहत महसूस हो रही थी। तेज हवा हल्की ठंडक का एहसास भी करा रही थी। पर, शनिवार से फिर से तेज धूप के साथ गर्म हवा लोगों को व्याकुल करने लगा है। जो रविवार को और अधिक महसूस किया गया।
गर्मी का ऐसा ही आलम रहा तो लोगों को घर में भी रहना भी मुश्किल होगा। धूप में बाहर निकलना लोगों को दुश्वार तो कर रही रखा है। तेज धूप में चलने वाली गर्म हवा लोगों को घर के अंदर पंखें की हवा में भी व्याकुल कर रही है। धूप में पैदल चलने वाले लोगों को खासे झुलसा रही है।
वहीं बाइक सवारों को भी गर्म हवा परेशान कर रही है। सुबह आठ बजे से ही तेज धूप लोगों को झुलसाना रही है। देर शाम तक गर्मी का असर अनुभव किया जा रहा है। जिसका असर लोगों के दैनिक कार्य पर भी पड़ रहा है। वहीं बाजार के कारोबार पर भी असर देखा जा रहा है।
जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा 30 अप्रैल को
रविवार, 24 अप्रैल 2022
रेल पुलिस ने बरामद की 56 बोतल शराब, एक गिरफ्तार
रविवार, 17 अप्रैल 2022
गायत्री महायज्ञ स्थल सीढ़ी घाट में मंत्रोचार के साथ हुआ भूमिपूजन
सोमवार, 4 अप्रैल 2022
खगड़िया जिले में स्कूलों को मिलने वाली करोड़ों राशि हो गई लैप्स
बुधवार, 16 फ़रवरी 2022
खगड़िया जिले में चयनित छह शिक्षक अभ्यर्थियों के टीईटी सर्टिफिकेट मिले फर्जी
खगड़िया जिले में चयनित छह शिक्षक अभ्यर्थियों के टीईटी व एसटीईटी प्रमाणपत्र जांच में फर्जी पाए गए हैं। अब इन शिक्षक अभ्यर्थियों पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। ऐसे मामले और सामने आने की बात कही जा रही है। मामला छठे चरण की प्रारंभिक शिक्षक नियोजन इकाईयों में कांउसिलिंग में चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों से जुड़ा है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो सर्टिफिकेट जांच में बेलदौर प्रखंड नियोजन इकाई में चयनित अब्दुस अहमद अनुत्तीर्ण पाए गए हैं। वहीं तेलिहार पंचायत नियोजन इकाई में मिथुन कुमार, कुर्बन पंचायत में रेणु कुमारी व महद्दीपुर पंचायत में चयनित कुमारी जगरानी के टीईटी सर्टिफिकेट गलत पाए गए हैं। बेलदार प्रखंड के माली पंचायत में चयनित सुधा कुमारी की टीईटी व अम्बा इचरुआ पंचायत नियोजन इकाई में चयनित शिक्षक अभ्यर्थी रंजीत कुमार के सीटीईटी प्रमाणपत्र गलत मिले हैं।
गौरतलब है कि छठे चरण अंतर्गत गत साल जुलाई से अब तक तीन राउंड में हुई विभिन्न प्रखंड और पंचायत नियोजन इकाईयों में विभिन्न कोटि के 554 अभ्यर्थियों का चयन नियुक्तिपत्र के लिए किया गया। जिसमें से छह अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। वहीं बिहार बोर्ड से जारी शैक्षणिक प्रमाणपत्र भी कई अभ्यर्थियों के गलत पाए जाने की बात कही जा रही है। इधर शिक्षा विभाग आगामी 23 फरवरी से पहले चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्तिपत्र वितरण करने की तैयारी कर रही है।
स्थापना डीपीओ, सुजीत कुमार राउत ने कहा कि जांच में प्रारंभिक शिक्षक के चयनित छह शिक्षक अभ्यर्थियों के टीईटी प्रमाणपत्र गलत पाए जाने पर उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है। मामला दर्ज कराने के लिए नियोजन इकाईयों को लिखा जा रहा है।
सोमवार, 7 फ़रवरी 2022
खगड़िया होकर दो रेल रुट बनने की आस
जिले के सुदूर गांवों होकर भी ट्रेन गुजरने का सपना पूरा होने की उम्मीद जगी है। सब कुछ ठीका ठाक रहा तो आने वाले कुछ सालों में गोगरी, बेलदौर व परबत्ता से जुड़े गांवों के लोग अपने घर तक ट्रेन की सफर कर सकेंगे। दरअसल इस बजट में महेशखूंट-नारायणपुर के बीच वाया गोगरी बाजार होते हुए परबत्ता प्रखंड के अगुवानी तक 40 किलोमीटर लम्बी नई रेल परियोजना की सर्वें के लिए राशि का प्रावधान किया गया है। सर्वें कार्य के लिए फिलहाल 50 हजार की राशि आवंटित की गई है। हालांकि सर्वें की कुल लागत छह लाख है। शेष राशि भी जल्द मिलने की उम्मीद की जा रही है। दूसरी रेल परियोजना सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर-बिहारीगंज वाया बेलदौर के बीच नई रेल परियोजना के लिए भी सर्वें करने का प्रावधान बजट में किया गया है। इसके लिए 20 हजार मिले हैं। कुल सर्वें के लिए लागत आठ लाख 10 हजार निर्धारित किया गया है। सर्वें में सब कुछ सही से रहा तो इन रूटों पर नई रेल परियोजना को हरी झंडी मिलते ही काम शुरू हो सकेगा। जिस पर रेल मंत्री ने कार्रवाई को लेकर जानकारी भी उपलब्ध कराई थी।
तत्कालीन रेल मंत्री स्व. रामविलास पासवान की महत्वाकांक्षी रेल परियोजना को 60 करोड़ मिलने से अब गति तेज होगी। स्व. पासवान अपने पैतृक गांव अलौली प्रखंड के शहरबन्नी तक ट्रेन चलने का सपना पूरा होना है। रेल मंत्री के रूप में स्वीकृत उनकी महत्वाकांक्षी रेल परियोजना रही खगड़िया-कुशेश्वर स्थान 1998 में स्वीकृत हुई थी। जो 2007 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। तब लागत 162 करोड़ था। अब बढ़कर 645 करोड़ तक हो गया। पर, परियोजना का काम आधा भी पूरा नहीं हो पाया। परियोजना का काम चल रहा है। सर्वें के लिए 2002 में दो करोड़ रुपए मिले थे।
इन रेल परियोजना को को लेकर लगातार रेल मंत्रालय से पत्राचार किया जा रहा था। लोगों को सुविधा होगी।
चौधरी महबूब अली कैसर,सांसद
होगा सर्वेे
● बजट में खगड़िया से जुड़ी दो रेल परियोजना में सर्वें शामिल
● कई सालों से होती आ रही है इसकी मांग
शुक्रवार, 21 जनवरी 2022
खगड़िया से मुंगेर जाने वाली ट्रेन हुई स्थगित
रविवार, 16 जनवरी 2022
खगड़िया स्टेशन पर जल्द लगेगा लिफ्ट
खगड़िया | राजीव कुमार
● प्लेटफार्म एक से दो व तीन पर लिफ्ट
खगड़िया स्टेशन पर जल्द लगेगा लिफ्ट
● प्लेटफार्म एक से दो व तीन पर लिफ्ट से जाने की होगी सुविधा
● नवनिर्मित फुटओवर ब्रिज के साथ लगाए जाएंगे लिफ्ट
खगड़िया रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए जल्द ही लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध होगी। अगले तीन माह में यात्रियों को लिफ्ट के सहारे एक से दूसरे प्लेटफार्म जाने की आस पूरी होगी। सबसे बड़ी राहत दिव्यांग, वृद्धजन व बीमार रेल यात्रियों को होगी। फुट ओवर ब्रिज के सहारे सीढ़ी चढ़कर एक से दूसरे प्लेटफार्म जाने में होने वाली परेशानी से राहत मिलेगी। लगभग एक करोड़ की लागत से दो लिफ्ट लगाया जाना है। जिसमें एजेंसी को तीन साल का मेन्टेनेंस भी करना है। बता दें कि स्टेशन पर नवनिर्मित फुटओवर के साथ लिफ्ट को लगाया जाना है। लिफ्ट लगाने के लिए बस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट द्वारा फाउंडेशन व स्ट्रक्चर खड़ा करने का काम शुरू करना है। इसके बाद इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट एक माह में लिफ्ट को सेट कर रेल यात्रियों के लिए चालू कर दिया जाएगा।
सर्कुलेटिंग एरिया का होगा विस्तार: खगड़िया में रेलवे स्टेशन पर सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार भी किया जाना है। तकरीबन एक करोड़ की लागत से सर्कुलेटिंग एरिया का सौदर्यीकरण होगा। इसमें वर्तमान में वाहन पार्किंग को वहां से स्थानांतरित कर परिसर के पूर्वी भाग में शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए मिट्टी भराई का काम शुरू किया गया। इससे सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार होगा। साथ ही पार्क को भी विस्तार कर परिसर को और सुंदर रूप मिल सकेगा। यह सब आगामी छह से सात माह में पूरा कर लिए जाने की बात कही जा रही है।
से जाने की होगी सुविधा
● नवनिर्मित फुटओवर ब्रिज के साथ लगाए जाएंगे लिफ्ट
खगड़िया रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए जल्द ही लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध होगी। अगले तीन माह में यात्रियों को लिफ्ट के सहारे एक से दूसरे प्लेटफार्म जाने की आस पूरी होगी। सबसे बड़ी राहत दिव्यांग, वृद्धजन व बीमार रेल यात्रियों को होगी। फुट ओवर ब्रिज के सहारे सीढ़ी चढ़कर एक से दूसरे प्लेटफार्म जाने में होने वाली परेशानी से राहत मिलेगी। लगभग एक करोड़ की लागत से दो लिफ्ट लगाया जाना है। जिसमें एजेंसी को तीन साल का मेन्टेनेंस भी करना है। बता दें कि स्टेशन पर नवनिर्मित फुटओवर के साथ लिफ्ट को लगाया जाना है। लिफ्ट लगाने के लिए बस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट द्वारा फाउंडेशन व स्ट्रक्चर खड़ा करने का काम शुरू करना है। इसके बाद इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट एक माह में लिफ्ट को सेट कर रेल यात्रियों के लिए चालू कर दिया जाएगा।
सर्कुलेटिंग एरिया का होगा विस्तार: खगड़िया में रेलवे स्टेशन पर सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार भी किया जाना है। तकरीबन एक करोड़ की लागत से सर्कुलेटिंग एरिया का सौदर्यीकरण होगा। इसमें वर्तमान में वाहन पार्किंग को वहां से स्थानांतरित कर परिसर के पूर्वी भाग में शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए मिट्टी भराई का काम शुरू किया गया। इससे सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार होगा। साथ ही पार्क को भी विस्तार कर परिसर को और सुंदर रूप मिल सकेगा। यह सब आगामी छह से सात माह में पूरा कर लिए जाने की बात कही जा रही है।