दो सौ साल पहले खेत में देवी मां की प्रतिमा निकली थी, जो आज भी है मंदिर में स्थापित
पुजारी को मां ने स्वप्न में गांव के दक्षिण दिशा में प्रतिमा स्थापित करने को कहा था
खगड़िया शहर के सन्हौली स्थित मंदिर में मां दुर्गा की स्थापित प्रतिमा की पौराणिक मान्यता है। दो सौ साल पहले खेत से मिली मां की प्रतिमा आज भी मंदिर में स्थापित है। मंदिर में मां की शक्ति रूप में प्रतिमा स्थापित कर पूजा आराधना होती है। माना जाता है कि मंदिर के वर्तमान मुख्य पुजारी पंडित बोलबम ठाकुर के पूर्वजवों को दो सौ साल पहले सन्हौली गांव के पास मोइन कमला घार के पास से मां की प्रतिमा मिली थी, जिसे गांव के ठाकुरबाड़ी में स्थापित कर पूजा अर्चना की जाने लगी। इसके कुछ दिनों बाद उस पुजारी के स्वप्न में मां ने आकर प्रतिमा को गांव के दक्षिण दिशा में स्थापित करने को कहा। जिस पर पुजारी ने पूर्व विधायक केदार नारायण सिंह व गांव के गणमान्य लोगों से विचार विमर्श बाद वर्तमान के मंदिर स्थल पर प्रतिमा स्थापित किया गया। तब से वहां मां दुर्गा की प्रतिमा निर्माण कर हर साल पूजा की जा रही है। आज मंदिर भव्य रूप में बना है।
सन्हौली दुर्गा मंदिर में स्थापित मूर्ति।श्री दुर्गा स्थान सन्हौली की है महिला अपार: इस मंदिर की दूर दूर तक ख्याति है। शहर से लेकर जिले के विभिन्न हिस्से से लोग मां के दर्शन के लिए पहंुचते हैं। मंदिर के प्रति आस्था बड़ी है। यहां कलश स्थापन के साथ से ही पूजा अर्चना के लिए बड़ी भीड़ लगने लगती है। नवमी व दशमी पर तो मां के दर्शन व प्रसाद चढ़ाने के लिए काफी भीड़ उमड़ पड़ती है। खास बात यह है कि यहां नवमीं की सुबह से ही पाठा की बली दी जाती है, जो शाम तक चलती है। कहा जाता है कि पन्द्रह सौ से दो हजार के बीच पाठा की बली चढ़ती है। लोगों की मन्नते पूरी होने पर पाठा चढ़ाने की आस्था दूर-दूर तक फैली है। यहां की परंपरा यह है कि दशवीं के दिन शाम में ही मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के लिए उठाई जाती है। पूरे गांव का भ्रमण कराया जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही स्वरूप में मां की प्रतिमा स्थापित होती आ रही है।
नवरात्रा में शाम में होती है महा आरती: नवरात्रा पर मंदिर में शाम में महा आरती होती है। महा आरती में बड़ी संख्या में व्रति व श्रद्धालु शरीक होते हैं। सुबह व शाम में भी पूजा व आराधाना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। नवमी व दशवी के दिन तो भीड़ उमड़ पड़ती है। मुख्य पुजारी पंडित बोलबम ठाकुर बताते हैं कि नवरात्रा पर नौ दिनों तक हर दिन अलग-अलग तरह के प्रसाद का वितरण श्रद्धालुओं के बीच किया जाता है। वहीं नौ दिनों तक देवी जागरण का भी कार्यक्रम होता है।
भागलपुर के कलाकार बनाते आ रहे हैं प्रतिमा: श्री दुर्गा स्थान सन्हौली में स्थापित मां की प्रतिमा भागलपुर जिले के कलाकार द्वारा ही बनाई जा रही है। वर्तमान में जो कलाकार प्रतिमा बना रहे हैं, इससे पहले उनके पीढ़ी ही बनाते थे। बताया जाता है कि चाचा व भतिजा मिलकर प्रतिमा बनाते हैं। मुर्तिकार मां की एक ही स्वरूप में बनाते आ रहे हैं। मां की भव्य प्रतिमा भी खास बनती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु जेवरात भी चढ़ाते हैं।
मंदिर में उमड़ती है भीड़: दुर्गा पूजा पर मां के दर्शन व पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। अहले सुबह से जो भीड़ शुरू होती है लगातार लगी रहती है। मंदिर के प्रति लोगों की आस्था ही है कि यहां दर्शन व प्रसाद चढ़ाने के लिए हर कोई पहंुचते से खुद को नहीं रोक पाते हैं। महाआरती में दो से ढाई हजार भीड़ लगती है। पट खुलने पर यहां भीड़ काफी चलगती है। यहां वैसे तो पंडाला खास रूप में नहीं बनाया जाता है। साधारण पंडाल बनाया जाता है। लाइटिंग व गेट का निर्माण किया जाता है।
ट्रस्ट से संचालित है पूजा: श्री दुर्गा स्थान सन्हौली में दुर्गा पूजा का आयोजन ट्रस्ट के माध्यम से होता है। पांच लाख से अधिक का व्यय होता है। दो लाख तो पंडाल व लाइटिंग में ही लग जाता है। कमेटी द्वारा पूजा का खर्चा गांव व आसपास में चंदा इकट्ठा कर करते हैं। मंदिर की रसीद काटकर स्वेच्छा से जो लोग चंदा देते हैं वे लेते हैं। बताया गया कि समिति में अभी अध्यक्ष विजय रजक हैं। जबकि मंत्री नंदकिशोर सिंह, सचिव शेखर सिंह, सदस्य राकेश मोहन, मनीष कुमार सिंह, टिंकु सिंह सहित गांव के युवा व बुजुर्ग मिलकर शांति से प्रतिमा स्थापित करते हैं।
By: Rajeev
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