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बुधवार, 8 जून 2022

खगड़िया जिले में प्रारंभिक परीक्षा में 25 फीसदी भी नहीं रहा स्टूडेंट्स का ए ग्रेड रिजल्ट

खगड़िया जिले में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंटस की वार्षिक परीक्षा सह मूल्यांकन का रिजल्ट वर्गवार ग्रेड जारी किया गया। जिसमें ए ग्रेड 25 फीसदी भी नहीं रहा। हां यह बात और है कि इस बार ई ग्रेड जो बहुत कमजोर माना जाता है एक भी बच्चे का नहीं रहा है। दरअसल पांचवीं व आठवीं कक्षा के बच्चों की वार्षिक परीक्षा पहले ली गई। फिर इसके बाद अन्य कक्षाओं के छात्राओं का मूल्यांकन किया गया। जिले के 1061 प्रारंभिक स्कूलों में पांचवीं कक्षा में नामांकित बच्चों में से 88.97 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा दी। जिसमें ए ग्रेड महज 14.647 बच्चों ने ही लाया। बी ग्रेड 58.61 प्रतिशत बच्चों का रिजल्ट रहा। जबकि सी ग्रेड 24.17 व डी ग्रेड 2.566 प्रतिशत रहा। वहीं आठवीं क्षा में 90.09 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा दी। जिसमें 20.473 प्रतिशत बच्चों ने ए ग्रेड लाया। जबकि 60.25 प्रतिशत बच्चों को बी ग्रेड, 17.21 बच्चों ने सी ग्रेड व 2.062 प्रतिशत डी ग्रेड लाया। सबसे अधिक बच्चों ने बी ग्रेड लाया है।

अन्य कक्षाओं में ओवर ऑल महज 14.22 प्रतिशत बच्चों ने ही लाया ए ग्रेड: कक्षा एक से चार तक व छह व सातवीं कक्षा तक की परीक्षा में ओवर ा ऑल ए ग्रेड महज 14.22 प्रतिशत बच्चों का ही रिजल्ट रहा। कक्षा एक में महज 14.21 प्रतिशत बच्चों का ही ए ग्रेड रिजल्ट रहा। वहीं कक्षा दो में महज 13.60 प्रतिशत ही ग्रेड रिजल्ट रहा। कक्षा तीन में भी 13.63 प्रतिशत ही ए ग्रेड बच्चों ने लाया। वहीं कक्षा चार में 14.26 प्रतिशत ही बच्चों का ए ग्रेड रिजल्ट रहा। इधर कक्षा छह में सबसे अधिक 15.22 प्रतिशत बच्चों का ए ग्रेड आया। जबकि कक्षा सातवीं में महज 14.69 प्रतिशत को ही ए ग्रेड रिजल्ट में मिला। इधर कोरोना के दाौरान परीक्षा नहीं होेने के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि दोबारा से शिक्षा व्यवस्था अब पटरीपर लाौटने लगी है लेकिन लोगों को सिपर्फ एक ही भय है कि अब दोबारा पिफर से कोरोना का कहर शुरू नहीं हो। एसएसए के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शौलेन्द्र कुमार ने कहा कि स बार दो साल बाद स्कूलों में वार्षिक परीक्षा आयोजित हुई थी। परीक्षा का रिजल्ट प्रतिशत में एक भी बच्चे का ई ग्रेड नहीं मिला है। ऐसे में रिजल्ट प्रतिशत अच्छा है।

दो साल बाद हुई थी स्कूलों में परीक्षा: कोरोना काल के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों को बिना परीक्षा के ही दो साल अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया था। साल 2020 की मार्च में परीक्षा लेने की तिथि भी निर्धारित हो गई थी। यहां तक कि प्रश्नपत्र भी छपकर आ गया था। इसी बीच कोरोना के कारण स्कूल बंद हो गए थे। इसके बाद सभी छात्र व छात्राओं की परीक्षा स्थगित हो गई थी। फिर बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा में सभी को प्रमोट किया गया। 2021 में भी कोरोना के कारण परीक्षा नहीं हुई थी। दो साल पर इस साल मार्च माह में परीक्षा ली गई थी।

इस साल के मार्च माह में ली गई थी 2021-22 सत्र की परीक्षा: जिले के प्रारंभिक स्कूलों में पांचवी व आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा गत सात मार्च से 10 मार्च तक ली गई थी। बता दें कि सात मार्च को भाषा व अंग्रेजी विषय की परीक्षा हुई थी। वहीं आठ मार्च को गणित, पर्यावरण व सामाजिक विज्ञान, नौ मार्च को विज्ञान व संस्कृत केवल व 10 मार्च को हिन्दी व शैक्षणिक गतिविधि हुई थी। जबकि गत 25 से 29 मार्च तक कक्षा एक से चतुर्थ व कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चों का वार्षिक मूल्यांकन हुआ था। मुल्यांकन के बाद से हरी किसी को परिणाम जानने की उत्सुकता बनी हुई थी।

सोमवार, 6 जून 2022

डाउन नॉर्थइस्ट टे्रन में स्कॉट पार्टी पर चाकू से हमला


कटिहार स्कार्ट पार्टी के एक सिपाही हुआ घायल, दो अपराधी हुआ फरार 

बेगूसराय बाद मारी थी चाकू, खगड़िया में उतारकर कराया गया इलाज  

खगड़िया। 

टे्रन में रेल यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे कहे तों कोई दोराय नहीं है। खासकर रात में सफर करने वाले रेल यात्रियों में सुरक्षा के प्रति चिंता है। जी हां  ट्रेन में जग स्कॉट पार्टी खुद की रक्षा नहीं कर पाते हैं, तो यात्रियों की सुरक्षा कैसे करेंगे? यह इसलिए सवाल है कि डाउन 12506 नॉर्थइस्ट एक्सप्रेस ट्रेन में रविवार की अहले सुबह बरौनी-खगड़िया के बीच अपराधियों ने स्कॉट पार्टी के एक सदस्य को ही चाकू से घायल कर फरार हो गया। सूत्रों की मानें तो बरौनी स्टेशन पर ट्रेन में चल रहे स्कॉट पार्टी ने दो अपराधियों को रंगे हाथों दबोचा था। जिसमें से एक अपराधी ट्रेन खुलते ही किसी तरह भाग निकला। जबकि दूसरे अपराधी के बारें में कहा जाता है कि बेगूसराय रेलवे स्टेशन से ट्रेन खुलने के बाद स्कॉट पार्टी के एक सिपाही को ही चाकू मारकर घायल कर  चलती ट्रेन से कूद कर भाग गया। जिसके बाद घायल सिपाही को खगड़िया स्टेशन पर उतारकर इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। घायल सिपाही की पहचान कटिहार स्कॉर्ट पार्टी के सिपाही ललन प्रसाद सिंह के रूप में हुई है। 


 

सोमवार, 30 मई 2022

सातवें चरण की प्रारंभिक शिक्षक नियोजन की शुरू हुई तैयारी, अप्रैल में नोटिफिकेशन जारी होने की उम्मीद

खगड़िया में छठे चरण में 775 सीट से अधिक रह गए हैं सीट खाली, सातवें चरण में नए पद के साथ जुड़ेगी बची सीट

छठे चरण में प्रारम्भिक स्कूलों में 1320 पद में चयनित 554 अभ्यर्थियों को नियुक्त पत्र के लिए गया था बुलाया

खगड़िया से...

सूबे सहित खगड़िया जिले में सातवें चरण के प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षा विभाग ने सभी जिले के डीईओ व स्थापना डीपीओ से रिक्त सीटों की जानकारी मांगी गई है। जिला स्तर पर रिक्तियों व रोस्टर तैयार करने का शिडयूल भी तय किए गए हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में रिक्ति आने वाली है। जाहिर है कि जिले में ही छठे चरण की रिक्त बची 775 से अधिक सीट सातवें चरण की नियुक्ति में जुड़ जाएंगे। रिक्तियों की गणना करने का पत्र जारी होते हुए टीईटी व सीटीईटी पास अभ्यर्थियों में खुशी देखी जा रही है। छठे चरण की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही सातवें चरण की बहाली की चर्चा होने लगी थी। इस बीच विलंब होता देख अभ्यर्थियों ने पटना में धरना व प्रदर्शन पर भी बैठे तब जाकर विभाग ने रिक्तियों की रिपोर्ट जिले से तलब पत्र जारी की। प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने गत 26 मई को पत्र जारी कर सभी डीईओ व डीपीओ स्थापना से 31 मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार स्कूलवार व इकाईवार रिक्त पदों की गणना आगामी 30 जून तक करने को कहा है। साथ ही जिला स्तर पर रिक्त पदों के सापेक्ष रोस्टर बिंदु का क्लियरेंस आगामी 15 जुलाई तक पूरा करने को कहा है। वहीं नियोजन इकाईवार व कोटिवार रिक्त पदों को विभाग द्वारा तैयार किए जाने वाले पोर्टल पर आगामी 25 जुलाई तक अपलोड करना है। पत्र में साफ कहा गया है कि जुलाई माह के अंत तक विज्ञापन जारी किया जाएगा।

छठे चरण के शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया 2019 में हुई थी शुरू: छठे चरण की जिले में विभिन्न 101 नियोजन इकाईयों में विभिन्न विषय व कोटि के 1320 सीट पर बहाली के लिए साल 2019 में नियोजन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। जिसके अंतर्गत जिले में तीन राउंड तक हुई काउंसिलिंग में विभिन्न नियोजन इकाईयों में 554 अभ्यर्थियों का चयन नियुक्ति पत्र के लिए किया गया था। जिसमें चयनित नौ शिक्षक अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट जांच में फर्जी पाया गया था। जिसमें इन अभ्यर्थियों के दावे को रद्द कर दिया गया। ऐसे में चयनित शेष 545 अभ्यर्थी बचे जिसे नियुक्ति पत्र के लिए बुलाया गया था। जिसमें से भी आधे दर्जन के करीब अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र लेने नहीं पहुंचे थे। इधर बता दें कि नगर क्षेत्र में जुड़े जिले के विभिन्न 13 पंचायतों में नियोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।

प्रखंड शिक्षक की बड़ी संख्या में सीट रिक्त: सातों प्रखंड नियोजन इकाईयों में बड़ी संख्या में सीट रिक्त रह गई। सदर प्रखंड में 115 रिक्त सीट के विरुद्ध महज 46 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। जिसमें से एक अभ्यर्थी ने अपना दावा बाद में वापस ले लिया था। इधर मानसी प्रखंड में 28 सीट पर 16 का ही चयन हो पाया था। वहीं चौथम में 130 सीट पर महज 48 का चयन हो पाया। जबकि गोगरी प्रखंड में 184 सीट पर 76 का चयन हो पाया था। बेलदौर में 104 रिक्ति पर महज 36 का चयन हुआ। इधर परबत्ता प्रखंड में 108 रिक्ति में महज 43 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इधर नगर शिक्षक के तीन पद खाली रह गए। जिसमें नगर परिषद में दो व नगर पंचायत गोगरी में एक सीट रिक्त रहे।

पंचायत नियोजन इकाईयों में शिक्षक के पद रहे रिक्त: जिले के कई पंचायत नियोजन इकाईयां अंतर्गत स्कूलों में भी शिक्षक के सीट रिक्त रह गए। सदर प्रखंड अंतर्गत 16 पंचायतों में नियोजन की प्रक्रिया हुई। जिसमें 86 रिक्त सीट पर महज 39 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। वहीं अलौली प्रखंड अंतर्गत 19 पंचायतों में 91 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन किया गया था। मानसी प्रखंड अंतर्गत चार पंचायतों में 28 सीट पर महज नौ का चयन हो पाया था। वहीं चौथम प्रखंड अंतर्गत 11 पंचायत नियोजन इकाईयों में 46 सीट में 23 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। गोगरी प्रखंड अंतर्गत 14 पंचायत नियोजन इकाईयों में रिक्त 60 सीट में 30 सीट ही भर सका। बेलदौर के 13 पंचायतों में 93 सीट में 41 अभ्यर्थी चयनित हुए थे। परबत्ता अंतर्गत 16 पंचायत नियोजन इकाईयों में शिक्षक के 80 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन हो पाया था। जिलेके विभिन्न 93 पंचायत नियोजन इकाईयों में काउंसिलिंग हुई थी।

शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के भी पद रह गए रिक्त: जिले में शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक के भी अधिकांश पद रिक्त रह गए। गत 28 मई को चार प्रखंड नियोजन इकाईयों अंतर्गत चयनित अभ्यर्थियों के बीच नियुक्ति पत्र बांटा गया था। गत 12 मई को हुई काउंसिलिंग में 32 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। जिसमें से अधिकांश अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र संस्थान के मान्यता नहीं रहने से रोक दिया गया। सदर प्रखंड में 11 में महज पांच को ही नियुक्तिपत्र बांटा गया। इधर बता दें कि अलौली, बेलदौर, मानसी, नगर परिषद व नगर पंचायत गोगरी नियोजन इकाईयों के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग नहीं हो सकी है।

By. Rajeev

सोमवार, 16 मई 2022

खगड़िया में एक स्कूल में नहीं पक रहा मध्याह्न भोजन, तीन सौ से अधिक बच्चे रह रहे भूखे, किचेन शेड नहीं से दिक्कत

खगड़िया में एक स्कूल के बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध करवाने में शिक्षा अधिकारी हैं विफल

जिले में शतप्रतिशत स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना चालू नहीं है, जो शिक्षा अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है

खगड़िया जिले में तीन दिन पहले तक दो स्कूलों में बच्चों को एमडीएम योजना बंद थी। वैसे अब एक स्कूल में एमडीएम चालू की गई। पर, अब भी एक स्कूल में तीन सौ से अधिक बच्चों को एमडीएम परोसा नहीं जा रहा है। जबकि स्कूल में चावल व राशि भी उपलब्ध है। यहां तक कि गत दिनों भेजी गई चावल की आवंटन भी लेने से भी ये हेडमास्टर इंकार कर दिया। ऐसे में एचएम की मनमानी के आगे शिक्षा अधिकारी की सख्ती भी काम नहीं कर रही है जो सवाल है। बता दें कि सदर प्रखंड अंतर्गत मिडिल स्कूल हरिजन गंगिया में गत तीन अप्रैल से मध्याह्न भोजन बंद है। जबकि स्कूल पर्याप्त मात्रा में चावल व राशि है। हालांकि गत 28 से 30 मार्च तक तीन दिन एमडीएम बनाया गया था। पर, अब एचएम स्कूल में किचेन शेड नहीं रहने का विभाग को हवाला देकर एमडीएम संचालित नहीं कर रहे हैं। स्कूल में 375 बच्चे नामांकित बताए गए हैं। ब        इधर बेलदौर प्रखंड अंतर्गत मिडिल स्कूल गोंगी में भी चावल व राशि की उपलब्धता रहने के बाद भी मध्याह्न भोजन बंद रखा गया था। हालांकि अब तीन दिन पहले चालू की जा सकी है। बता दें कि जिले में 1060 प्रारंभिक स्कूलों में फिलहाल 1059 स्कूलों में बच्चों को एमडीएम मिल रहा है।

 एमडीएम संचालन नहीं करने पर एचएम पर हुई है प्रपत्र क गठित: जिले में मध्याह्न भोजन योजना का संचालन नहीं करने के मामले में अब तक 17 स्कूलों के हेडमास्टरों पर विभागीय कार्रवाई की गई है। बता दें कि नौ स्कूलों के एचएम पर शिक्षा अधिकारी ने प्रपत्र क गठित की कार्रवाई की है। 14 हेडमास्टरों पर गत 28 मार्च तक एमडीएम संचालन नहीं करने के आरोप में कार्रवाई की गई। जिसमें नौ नियमित शिक्षकों पर प्रपत्र क कठित की गई। जबकि अन्य पर नियोजन इकाईयों को लिखा गया। इसके बाद दो व फिर एक एचएम पर विभागीय कार्रवाई की गई।

प्रपत्र क गठित की नहीं हो सकी जांच: प्रपत्र क गठित किए जाने के एक माह बाद भी आरोपों की जांच नहीं हो सकी है। ऐसे में एचएम की वेतन बंद तो है ही साथ ही स्कूलों में एचएम योजना भी संचालित किया जा रहा है। पर, जांच नहीं होने से एचएम कार्रवाई से मुक्त नहीं हो सके हैं। इधर एक तरफ स्थापना डीपीओ स्तर से नौ एचएम के आरोपों की जांच के आदेश दिए गए हैं। तो दूसरी ओर एमडीएम डीपीओ पत्र जारी कर जांच अधिकारी को इन एचएम का आरोप मुक्त करने को लिखा गया है। जो सवाल भी उठाता है।

मंगलवार, 10 मई 2022

खगड़िया जिला बना तो, विकास की लिखी कई गाथाएं...

खगड़िया जिले के रूप में 41 साल का सफर पूरा किया। इस सफर में कई उतार चढ़ाव भी देखे। 

जिले ने अपने नाम अनेकों उपलब्धि जोड़े तो कई कसक आज भी बांकी है। 

सात नदियों से घिरे खगड़िया के दर्जनों गांव हर साल बाढ़ की विभीषिका भी झेलती आ रही है।

स्थापना के बाद ये पहला अवसर है, जब 41वां स्थापना दिवस को समारोह के रूप में जिला मना रहा। 

खगड़िया एक नजर में: 10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर खगड़िया स्वतंत्रता जिला बना। 30 अप्रेल 1981 को बिहार सरकार की अधिसूचना से  जिला बना था। इससे पहले 1943-44 में खगड़िया अनुमंडल के रूप में मुंगेर जिला अंतर्गत बना था। खगड़िया का इतिहास गौरवशाली और कई मायनों में खास है। ये धरती पौराणिक धार्मिक रूप में मां कात्यायनी मंदिर शक्तिपीठ रूप में  है। 52 कोठरी 53 द्वार की धरोहर है। कहते हैं कि 5वी शताब्दी पूर्व मुगल शासक अकबर के मंत्री टोडरमल ने जब यहां की भौगोलिक बनावट के करण जमीन की पैमाइश नहीं कर सके, तो इसे फरक कर दिया। तब से फरकिया नाम से जाना जाता है। 

    दो अनुमंडल, सात प्रखंड, अब दो नगर परिषद, तीन नगर पंचायत वाले जिला 10863 वर्ग किमी में फैला है। जहां सात नदियां भी बहती है। दो एनएच और कई रेलखंडों से जुड़ी खगड़िया सीमा से बेगूसराय, सहरसा, भागलपुर, समस्तीपुर, मधेपुरा और मुंगेर जिला लगती है। खगड़िया मक्का उत्पादन में एशिया में अव्वल है, तो ये दूध, दही, मछली की धरा के रूप में जानी जाती है। शहीदों की धरती भी रही है। देश को आजादी दिलाने में प्रभुनारायण और धन्ना-माधव ने अपनी प्राणों की आहुति थी। दानवीर कर्ण की धरती पर श्यामलाल और अवध बिहारी भी दानवीर हुए। 

अपना खगड़िया इस 41 सालों में हर मुकाम पर तरक्की की कई  गाथाएं लिखी है। चाहे खेल हो या राजनीति की पटल पर देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। इस लंबे सफर में  अनेकों उपलब्धि नाम की, तो कुछ कसक अब भी बांकी है। इतिहास के पन्नों में कई स्वर्णिम  मुकाम बनाई। तो इस धरती ने कई ऐसे हादसों को भी दिखाया है, जो आज भी लोगों को विचलित करती है। स्थापना काल के बाद से  41 वां स्थापना दिवस को  जिला प्रशासन समारोह के रूप में मनाया। 

खगड़िया में है कोशी का कैब्रिज: आजादी की याद को समेटे 1947 मेें स्थापित कोशी कॉलेज जिले की पहचान कोशी की कैब्रिज के रूप में दिलाई। तब के एसडीओ और स्थानीय शिक्षाविदों ने जमीन और धन दानकर इस शिक्षा की मंदिर को स्थापित किया था। आज भी अपनी भव्यता और नाम के साथ अतीत को बता रहा है। अब यहां पीजी  स्तर तक की पढ़ाई होती है। महिला कॉलेज सहित चार स्नातक स्तरीय कॉलेज है। 

1992 में खगड़िया जुड़ गया था व्यवसायिक शिक्षा से: 1992 में सूबे के कुुुछ गिने चुने जिले केे साथ खगड़िया में भी इंटर स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था हो गई थी।  शहर के जेएनकेटी स्कूल में इसे स्थापित किया गया। साल 2011 से तकनीतिक शिक्षा की ओर कदम तेजी से बढ़ा। आज तीन  iti college है। anm कॉलेज है। पोलटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज की भवन बनकर पढ़ाई के लिए तैयार खड़ा है। केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय है। सरकारी डीएलएड प्रशिक्षण केंद्र है। तीन बीएड कॉलेज भी खुला है। अभी 137 माध्यमिक और प्लस टू स्तरीय स्कूल है, जो हर पंचायत में स्थापित है। 1061 सरकारी प्रारम्भिक स्कूल है, जो हर टोले से जुड़ा है। अब गांव सीधे स्वास्थ्य सुविधा से जुड़ा है। खगड़िया को विकास के पथ पर बढ़ाने और नाम बढ़ाने में हर कोई ने  जब जहां अवसर और मौका मिला कसर नहीं छोड़ी। 

देश की राजनीति की पटल पर खगड़िया: देश ही नहीं विदेशों में खगड़िया की राजनीति की पहचान बनी है। जिले के अलौली प्रखंड के नदी पार के गांव शहरबन्नी से निकल कर तीन भाइयों ने देश की राजनीति में धाक जमाया। शहरबन्नी गांव मेें 1946 में जन्मे रामविलास पासवान ने वर्ष 1977 में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से पांच लाख से अधिक मतों से चुनाव जीतकर गिनीज बुक ऑफ व वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया, जो देश के इकलौते राजनेता थे। छह प्रधानमंत्री के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे। मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। पद्मभूषण सम्मान प्राप्त करने वाले वाले राज्य के वे पहले राजनेता हुए। वे राष्ट्रीय पार्टी बनाकर राजनीति की विरासत अपने पुत्र के हाथ सौपी। अब उनके छोटे भाई पशुपति पारस केंद्र में मंत्री हैं। 

खगड़िया ने दी मुख्यमंत्री: जिले के सतीश प्रसाद सिंह वर्ष 1968 में सूबे मुख्यमंत्री बने थे। वे सूबे के छठे व पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 1968 में 27 जनवरी से 5 फरवरी तक वे मुख्यमंत्री रहे। वे पसराहा के पास अपने नाम पर सतीशनगर गांव बसाया। 

खेल के मैदान पर खगड़िया: खेल के मैदान पर भी खगड़िया ने देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। गोगरी प्रखंड अन्तर्गत शिरनिया गांव  के फुुुटबॉलर विधानचंद्र मिश्रा वर्ष 1965 में भारतीय टीम में चुने गए। पाकिस्तान के शीर मूल्तान में ईरान व रूस के खिलाफ गोलकर भारतीय टीम को जीत दिलायी थी। जलकौड़ा के फुटबॉलर मो सरफराज साल 2021 में बिहार सीनियर फुलबॉल टीम के कप्तान की जिम्मेदारी संभाली। 2019 में हुई संतोष ट्रॉफी में सरफराज ने बिहार की ओर से बंगाल में मेजबान टीम को एक गोल दागकर जीत दिलाई थी। मानसी के चकहुसैनी की नेहा सीनियर महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा बन चुकी है। खेल मंत्री से सम्मानित भी हो चुकी है। महिला क्रिकेट में  विशालाक्षी  और अपराजिता सीनियर महिला नेशनल मैच खेल जिला का मान बढ़ाई है। हॉकी में सोनम और ज्योति सब जूनियर महिला नेशनल खेली। नवनीत कौर और ख़ूबशु सीनियर महिला नेशनल  खेल चुकी है। बालक हॉकी में भी नाम है। 

योग और संगीत की भी बजी धुन: जिले की योगपरी श्रेया त्यागी चार साल की उम्र में ही वर्ष 2015 में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीत चुकी है। योग गुरु बाबा रामदेव ने नन्ही योग गुरु की उपाधि दी थी। दर्जनभर से अधिक अवार्ड से सम्मानित होकर जिले को योग में पहचान दिलाई। लोक गायक सुनील छैला बिहारी अंगिका गीत के माध्यम से सूबे के अलावा दूसरे प्रदेशों में जाने जाते हैं। एक दौर था जब हर जगह छैला बिहारी की गीत की धूम थी। इसके अलावे साहित्य में भी खगड़िया की लेखनी की पहचान है। 

By- Rajeev



गुरुवार, 5 मई 2022

अपग्रेड हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी, पढ़ाई की हो रही कोरम

मंगलवार, 3 मई 2022

खगड़िया-अलौली रेलखंड पर होगी स्पीड ट्रायल, दौड़ेगी मालगाड़ी

  खगड़िया-कुशेश्वर स्थान नई रेल लाइन परियोजना के अंतर्गत खगड़िया-अलौली रेलखंड पर आज यानी 04.05.2022 को ट्रेन की स्पीड ट्रायल होगी। 
    
44 किमी लंबे खगड़िया-कुशेश्वर स्थान नई रेल लाइन परियोजना के अंतर्गत नवनिर्मित 18.5 किमी लंबे खगड़िया-अलौली रेलखंड पर दिनांक 04.05.2022 को मालगाड़ी परिचालन को लेकर अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान अलौली से खगड़िया स्टेशन तक स्पीड ट्रायल भी किया जायेगा। इस दौरान रेल अधिकारियों ने आम लोगों को रेलवे लाईन से दूर रहने की सलाह दी है।