सोमवार, 16 मई 2022
खगड़िया में एक स्कूल में नहीं पक रहा मध्याह्न भोजन, तीन सौ से अधिक बच्चे रह रहे भूखे, किचेन शेड नहीं से दिक्कत
मंगलवार, 10 मई 2022
खगड़िया जिला बना तो, विकास की लिखी कई गाथाएं...
खगड़िया जिले के रूप में 41 साल का सफर पूरा किया। इस सफर में कई उतार चढ़ाव भी देखे।
जिले ने अपने नाम अनेकों उपलब्धि जोड़े तो कई कसक आज भी बांकी है।
सात नदियों से घिरे खगड़िया के दर्जनों गांव हर साल बाढ़ की विभीषिका भी झेलती आ रही है।
स्थापना के बाद ये पहला अवसर है, जब 41वां स्थापना दिवस को समारोह के रूप में जिला मना रहा।
खगड़िया एक नजर में: 10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर खगड़िया स्वतंत्रता जिला बना। 30 अप्रेल 1981 को बिहार सरकार की अधिसूचना से जिला बना था। इससे पहले 1943-44 में खगड़िया अनुमंडल के रूप में मुंगेर जिला अंतर्गत बना था। खगड़िया का इतिहास गौरवशाली और कई मायनों में खास है। ये धरती पौराणिक धार्मिक रूप में मां कात्यायनी मंदिर शक्तिपीठ रूप में है। 52 कोठरी 53 द्वार की धरोहर है। कहते हैं कि 5वी शताब्दी पूर्व मुगल शासक अकबर के मंत्री टोडरमल ने जब यहां की भौगोलिक बनावट के करण जमीन की पैमाइश नहीं कर सके, तो इसे फरक कर दिया। तब से फरकिया नाम से जाना जाता है।
दो अनुमंडल, सात प्रखंड, अब दो नगर परिषद, तीन नगर पंचायत वाले जिला 10863 वर्ग किमी में फैला है। जहां सात नदियां भी बहती है। दो एनएच और कई रेलखंडों से जुड़ी खगड़िया सीमा से बेगूसराय, सहरसा, भागलपुर, समस्तीपुर, मधेपुरा और मुंगेर जिला लगती है। खगड़िया मक्का उत्पादन में एशिया में अव्वल है, तो ये दूध, दही, मछली की धरा के रूप में जानी जाती है। शहीदों की धरती भी रही है। देश को आजादी दिलाने में प्रभुनारायण और धन्ना-माधव ने अपनी प्राणों की आहुति थी। दानवीर कर्ण की धरती पर श्यामलाल और अवध बिहारी भी दानवीर हुए।
अपना खगड़िया इस 41 सालों में हर मुकाम पर तरक्की की कई गाथाएं लिखी है। चाहे खेल हो या राजनीति की पटल पर देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। इस लंबे सफर में अनेकों उपलब्धि नाम की, तो कुछ कसक अब भी बांकी है। इतिहास के पन्नों में कई स्वर्णिम मुकाम बनाई। तो इस धरती ने कई ऐसे हादसों को भी दिखाया है, जो आज भी लोगों को विचलित करती है। स्थापना काल के बाद से 41 वां स्थापना दिवस को जिला प्रशासन समारोह के रूप में मनाया।
खगड़िया में है कोशी का कैब्रिज: आजादी की याद को समेटे 1947 मेें स्थापित कोशी कॉलेज जिले की पहचान कोशी की कैब्रिज के रूप में दिलाई। तब के एसडीओ और स्थानीय शिक्षाविदों ने जमीन और धन दानकर इस शिक्षा की मंदिर को स्थापित किया था। आज भी अपनी भव्यता और नाम के साथ अतीत को बता रहा है। अब यहां पीजी स्तर तक की पढ़ाई होती है। महिला कॉलेज सहित चार स्नातक स्तरीय कॉलेज है।
1992 में खगड़िया जुड़ गया था व्यवसायिक शिक्षा से: 1992 में सूबे के कुुुछ गिने चुने जिले केे साथ खगड़िया में भी इंटर स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था हो गई थी। शहर के जेएनकेटी स्कूल में इसे स्थापित किया गया। साल 2011 से तकनीतिक शिक्षा की ओर कदम तेजी से बढ़ा। आज तीन iti college है। anm कॉलेज है। पोलटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज की भवन बनकर पढ़ाई के लिए तैयार खड़ा है। केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय है। सरकारी डीएलएड प्रशिक्षण केंद्र है। तीन बीएड कॉलेज भी खुला है। अभी 137 माध्यमिक और प्लस टू स्तरीय स्कूल है, जो हर पंचायत में स्थापित है। 1061 सरकारी प्रारम्भिक स्कूल है, जो हर टोले से जुड़ा है। अब गांव सीधे स्वास्थ्य सुविधा से जुड़ा है। खगड़िया को विकास के पथ पर बढ़ाने और नाम बढ़ाने में हर कोई ने जब जहां अवसर और मौका मिला कसर नहीं छोड़ी।
देश की राजनीति की पटल पर खगड़िया: देश ही नहीं विदेशों में खगड़िया की राजनीति की पहचान बनी है। जिले के अलौली प्रखंड के नदी पार के गांव शहरबन्नी से निकल कर तीन भाइयों ने देश की राजनीति में धाक जमाया। शहरबन्नी गांव मेें 1946 में जन्मे रामविलास पासवान ने वर्ष 1977 में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से पांच लाख से अधिक मतों से चुनाव जीतकर गिनीज बुक ऑफ व वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया, जो देश के इकलौते राजनेता थे। छह प्रधानमंत्री के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे। मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। पद्मभूषण सम्मान प्राप्त करने वाले वाले राज्य के वे पहले राजनेता हुए। वे राष्ट्रीय पार्टी बनाकर राजनीति की विरासत अपने पुत्र के हाथ सौपी। अब उनके छोटे भाई पशुपति पारस केंद्र में मंत्री हैं।
खगड़िया ने दी मुख्यमंत्री: जिले के सतीश प्रसाद सिंह वर्ष 1968 में सूबे मुख्यमंत्री बने थे। वे सूबे के छठे व पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 1968 में 27 जनवरी से 5 फरवरी तक वे मुख्यमंत्री रहे। वे पसराहा के पास अपने नाम पर सतीशनगर गांव बसाया।
खेल के मैदान पर खगड़िया: खेल के मैदान पर भी खगड़िया ने देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। गोगरी प्रखंड अन्तर्गत शिरनिया गांव के फुुुटबॉलर विधानचंद्र मिश्रा वर्ष 1965 में भारतीय टीम में चुने गए। पाकिस्तान के शीर मूल्तान में ईरान व रूस के खिलाफ गोलकर भारतीय टीम को जीत दिलायी थी। जलकौड़ा के फुटबॉलर मो सरफराज साल 2021 में बिहार सीनियर फुलबॉल टीम के कप्तान की जिम्मेदारी संभाली। 2019 में हुई संतोष ट्रॉफी में सरफराज ने बिहार की ओर से बंगाल में मेजबान टीम को एक गोल दागकर जीत दिलाई थी। मानसी के चकहुसैनी की नेहा सीनियर महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा बन चुकी है। खेल मंत्री से सम्मानित भी हो चुकी है। महिला क्रिकेट में विशालाक्षी और अपराजिता सीनियर महिला नेशनल मैच खेल जिला का मान बढ़ाई है। हॉकी में सोनम और ज्योति सब जूनियर महिला नेशनल खेली। नवनीत कौर और ख़ूबशु सीनियर महिला नेशनल खेल चुकी है। बालक हॉकी में भी नाम है।
योग और संगीत की भी बजी धुन: जिले की योगपरी श्रेया त्यागी चार साल की उम्र में ही वर्ष 2015 में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीत चुकी है। योग गुरु बाबा रामदेव ने नन्ही योग गुरु की उपाधि दी थी। दर्जनभर से अधिक अवार्ड से सम्मानित होकर जिले को योग में पहचान दिलाई। लोक गायक सुनील छैला बिहारी अंगिका गीत के माध्यम से सूबे के अलावा दूसरे प्रदेशों में जाने जाते हैं। एक दौर था जब हर जगह छैला बिहारी की गीत की धूम थी। इसके अलावे साहित्य में भी खगड़िया की लेखनी की पहचान है।
By- Rajeev
गुरुवार, 5 मई 2022
अपग्रेड हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी, पढ़ाई की हो रही कोरम
खगड़िया जिले में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों का टोटा है। आलम यह है कि स्कूलों में सभी विषयों की पढ़ाई के लिए शिक्षक नहीं हैं।
जिले में माध्यमिक स्तरीय स्कूलों की बात करें तो 137 माध्यमिक व उच्च स्तरीय स्कूल हैं। जिसमें 40 राजकीयकृत, 96 उत्क्रमित, एक अल्पसंख्यक स्कूल हैं। इन स्कूलों में माध्यमिक व इंटर स्तरीय 534 शिक्षक ही पदस्थापित हैं। इसके अलावा 18 वित्तरहित स्कूल भी हैं। बड़ी बात है कि अधिकांश उत्क्रमित माध्यमिक व प्लस टू स्कूलों में इस स्तरीय शिक्षक ही पदस्थापित नहीं हैं। कहीं है तो दो या तीन हैं। शेष विषय के शिक्षक नहीं रहने से पढ़ाई भी नहीं हो पाती है। ऐसे में बिना शिक्षक के स्टूडेंटस भगवान भरोसे पढ़ाई कर रहे हैं।
बिना पढ़ाई रिजल्ट बेहतर यह बात और है कि हाल के दो तीन सालों से मैट्रिक व इंटर के स्टूडेंटस बोर्ड की परीक्षा में बेहतर अंक से पास कर रहे हैं। जबकि कोरोना के कारण दो साल से पठन-पाठन भी प्रभावित रहा है। उत्क्रमित प्लस टू स्कूल कासिमपुर में एक भी इंटर स्तरीय शिक्षक नहीं हैं। पर, इस बार इंटर में सौ के करीब परीक्षार्थी इंटर पास की है। यह तो महज उदाहरण है। जानकार की मानें तो पिछले दो तीन साल से मैट्रिक व बोर्ड की परीक्षा में 50 प्रतिशत सवाल ऑब्जेक्टिव पूछे जा रहे हैं। इस बार तो ऑब्जेक्टिव व सब्जेक्टिव सवाल में अतिरिक्त 50-50 प्रतिशत प्रश्न थे। साथ ही उत्तरपुस्तिका की बेहतर मार्किंग की व्यवस्था किए जाने से भी रिजल्ट प्रतिशत अच्छा होने की बात कही जाती है।
माध्यमिक और प्लस टू स्कूलों में नियुक्ति नहीं
जिले में छठे चरण की शिक्षक नियोजन के तहत माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। बताया जाता है कि विभिन्न स्कूलों में 268 रिक्ति पदों पर बहाली होनी है। माध्यमिक शिक्षक के 121 सीट व उच्च माध्यमिक के 147 सीट के लिए नियोजन की प्रक्रिया हो रही है। बता दें कि जिले में पिछले माह काउंसिलिंग में अभ्यर्थियों का चयन किया जा चुका था। पर, नियुक्ति पत्र वितरण नहीं हो सका। अब कोर्ट के आदेश पर योग्य अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मौका दिया गया है। ऐसे में एक माह में नियोजन की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद की जा रही है। इधर बता दें कि जिले में प्रारंभिक शिक्षक के पांच सौ से अधिक पदों पर शिक्षकों का नियोजन गत फरवरी माह में किया गया है।
माध्यमिक स्कूलों में कई विषयों शिक्षक नहीं
जिले में खासकर उत्क्रमित माध्यमिक व प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है। यहां तक कि कई विषयों की पढ़ाई बिना शिक्षक के ही हो रही है। बता दें कि बिते कई साल पहले कई चरणों में 66 मिडिल स्कूलों को पहले माध्यमिक स्तरीय में अपग्रेड किया गया था। बाद में इंटरस्तरीय स्कूल का दर्जा भी दिया गया। पर, शिक्षकों की कमी दूर नहीं हो सकी। आलम यह है कि कहीं एक तो कहीं दो शिक्षक के सहारे आर्ट्स, साइंस व कॉमर्स की पढ़ाई होती है। ऐसे में साइंस संकाय के भी अधिकांश स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। जिले में साल 2020 में माध्यमिक स्कूल विहीन शेष बचे 30 पंचायतों में मिडिल स्कूलों में नवम कक्षा में नामांकन लेकर माध्यमिक स्तरीय पढ़ाई की व्यवस्था की गई। यहां दसवीं में भी अब नामांकन लिया जा रहा है। पर, इन स्कूलों में एक भी माध्यमिक स्तरीय शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं।
इंटरस्तरीय बच्चों की पढ़ाई हो रही बिना शिक्षक: जिले में उत्क्रमित माध्यमिक व इंटर स्तरीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। अधिकांश में प्लस टू स्तरीय शिक्षक नहीं हैं। उत्क्रमित माध्यमिक स्कूल कासिमपुर में दसवीं से 12वीं तक की पढ़ाई होती है। साल 2015 में स्कूल अपग्रेड हुआ है। पर, एक भी इंटर स्तरीय शिक्षक नहीं हैं। यहां माध्यमिक स्तरीय दो शिक्षक हैं। इस बार मैट्रिक के 171 व इंटर में साइंस में 111 व आर्ट्स में 73 स्टूडेंटस बोर्ड की परीक्षा में शामिल भी कराए गए। इधर इंटर स्कूल मेहसौड़ी अतिथि शिक्षक के भरोसे है। यहां आर्ट्स संकाय में भी कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। वहीं माध्यमिक स्तरीय शिक्षक की भी कमी है। गणित व फिजिक्स विषय में एक-एक अतिथि शिक्षक हैं। साइंस संकाय की पढ़ाई की स्थिति को समझा जा सकता है।
मंगलवार, 3 मई 2022
खगड़िया-अलौली रेलखंड पर होगी स्पीड ट्रायल, दौड़ेगी मालगाड़ी
मंगलवार, 26 अप्रैल 2022
खगड़िया में 27 अप्रैल से स्कूलों का संचालन 10:30 तक
खगड़िया जिले में 40 डिग्री के पार तापमान
जिले में दो दिनों से फि र मौसम का पारा चढ़ा रहा। तापमान चालीस डिग्री के पार रहा। तेज धूप व गर्म हवा लोगों को कुम्हला रहा है।
रविवार को देह जला देने वाली धूप का आलम यह रहा कि लोग घर से बाहर निकलने से परहेज किया। जिसका असर सड़क पर लोगों की आवाजाही कम देखा गया। गर्म हवा से लोगों को घर में भी राहत नहीं मिल रही थी। लोग पंखे की हवा में भी गर्मी से कुम्हला रहे थे। सुबह से ही तेज धूप निकली थी। शाम पांच बजे बाद भी तापमान में नरमी नहीं हो पाई थी। देर शाम भी गर्म हवा से लोगों को राहत नहीं मिली।
बता दें कि दो दिन पहले तक मौसम खुशनुमा हो गई थी। तीन दिनों तक गर्मी से लोगों को हद तक राहत महसूस हो रही थी। तेज हवा हल्की ठंडक का एहसास भी करा रही थी। पर, शनिवार से फिर से तेज धूप के साथ गर्म हवा लोगों को व्याकुल करने लगा है। जो रविवार को और अधिक महसूस किया गया।
गर्मी का ऐसा ही आलम रहा तो लोगों को घर में भी रहना भी मुश्किल होगा। धूप में बाहर निकलना लोगों को दुश्वार तो कर रही रखा है। तेज धूप में चलने वाली गर्म हवा लोगों को घर के अंदर पंखें की हवा में भी व्याकुल कर रही है। धूप में पैदल चलने वाले लोगों को खासे झुलसा रही है।
वहीं बाइक सवारों को भी गर्म हवा परेशान कर रही है। सुबह आठ बजे से ही तेज धूप लोगों को झुलसाना रही है। देर शाम तक गर्मी का असर अनुभव किया जा रहा है। जिसका असर लोगों के दैनिक कार्य पर भी पड़ रहा है। वहीं बाजार के कारोबार पर भी असर देखा जा रहा है।