मेरी सलामती की दुआ न करना मेरे दोस्त।
कईयों ने मेरी बर्बादी की मांग रखी है मन्नते।।
तेरी रब से इक इबादत न हो जाये कहीं बेजा।
मेरी खातिर क्यों जमाने से होंगे भला रब रुसवा।।
शनिवार, 18 अगस्त 2018
...इक तेरे ख़ातिर
गुरुवार, 9 अगस्त 2018
सोमवार, 16 जुलाई 2018
कहना क्या...
इरादे की बानगी तो देखो, अंजाम तो हकीकत का है।
इंसाफ की खिलाफत तो देखो, फरेब तो ईमान का है।।
शनिवार, 14 जुलाई 2018
इम्तिहा की हद
इल्जाम न लगाओ खुद की खता तो अपनी देखो।
बेमतलब की बातों को हवा न दो तुम इस कदर।।
धरी की धरी रह जायेगी तेरी तकरार करने की आदत।
जब आ गए अपने पर ढह जाएगी तुम पर सितम।।
इरादे ए अंजाम
नजारे की नजाकत तो देखो, तराने की बानगी तो समझो।
बेरुख है मौसम ठहर तो जाओ थोड़ा, इरादे महफ़िल की भाप तो लें ठहर जरा।।
ख्वाबों की आइने
बेफिक्री में जीने का है मौज कहाँ किसे पता।
यादों के तराने में कहां तलाश रहा है सुकून।।
जीने की तलाश में परेशान फिर रहा है जहान।
ख्वाबों में खोए जा रहा है हकीकत ए बहार।।
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