Powered By Blogger

शनिवार, 18 अगस्त 2018

...इक तेरे ख़ातिर

मेरी सलामती की दुआ न करना मेरे दोस्त।
कईयों ने मेरी बर्बादी की मांग रखी है मन्नते।।
तेरी रब से इक इबादत न हो जाये कहीं बेजा।
मेरी खातिर क्यों जमाने से होंगे भला रब रुसवा।।

कोई टिप्पणी नहीं: