मेरे ब्लॉग पर बेबाक़ और सीधी बात।
नजारे की नजाकत तो देखो, तराने की बानगी तो समझो। बेरुख है मौसम ठहर तो जाओ थोड़ा, इरादे महफ़िल की भाप तो लें ठहर जरा।।
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