मेरे ब्लॉग पर बेबाक़ और सीधी बात।
बेफिक्री में जीने का है मौज कहाँ किसे पता। यादों के तराने में कहां तलाश रहा है सुकून।। जीने की तलाश में परेशान फिर रहा है जहान। ख्वाबों में खोए जा रहा है हकीकत ए बहार।।
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