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शनिवार, 14 जुलाई 2018

ख्वाबों की आइने

बेफिक्री में जीने का है मौज कहाँ किसे पता।
    यादों के तराने में कहां तलाश रहा है सुकून।।
जीने की तलाश में परेशान फिर रहा है जहान।
    ख्वाबों में खोए जा रहा है हकीकत ए बहार।।

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