एक दिन में श्रमिक और आम रेल यात्री की परिभाषा ने कोरोना के संदिग्ध के मापदंड भी बदल दिए। भय और बेबसी के बीच चली श्रमिक ट्रेन से आने वाले प्रवासी थे। सब स्पेशल ट्रेन से आम रेल यात्री आ जा रहे हैं। तो कोरोना संक्रमण की स्थिति को नकार दिया गया। दो दिन बाद ही स्थिति सामने आने लगी।
अब समझिए दो माह की लॉक डाउन में पहली जून से छूट दी गई। बिहार के एक छोटे से खगड़िया जिले की ही बात लें तो देखिए। दिल्ली से पहली ट्रेन तीन जून को खगड़िया पहुँची। ट्रेन से करीब 60 आम रेल यात्री उतरे। स्टेशन से सभी यात्री सीधे अपने अपने घर गए। ये बात और है कि प्लेटफार्म पर थर्मल स्केनिंग हुई। आज भी दिल्ली से महानंदा ट्रेन आई। ये सिलसिला रोज की अब। तीन दिन पहले तक दिल्ली सहित 11 रेड जोन शहर से श्रमिक नाम की ट्रेन से आने वाले प्रवासियों को संदिग्ध मानते हुए 14 दिनों तक कम से कम घर जाने की इजाजत नहीं हुआ करती थी। दिल्ली से आने वाले में ही ज्यादा केस भी सामने आए हैं। अब जब पहली जून से स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है तो अब आने वाले आम रेल यात्री हैं। प्रवासी हैं नहीं तो संदिग्ध भी नहीं। तो फिर कोरोना की कोई बात भी कहां होगी ये ही न। अब दिल्ली और मुंबई से आये लोग समाज से सीधे संपर्क में होंगे। स्थिति समझा जा सकता है। इस रूट में चार जोड़ी ट्रेन चलाई गई है। दिल्ली और मुंबई से भी।
गुरुवार, 4 जून 2020
श्रमिक और स्पेशल ट्रेन के बीच बदली कोरोना के मायने
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