कोरोना संकट कम होने तो छोड़िए भयावह स्थिति की ओर है। इस बीच लॉक डाउन खत्म ही हो गई। ऐसा ही तो है ट्रेन चलने लगी। सड़क पर वाहन बेधड़क दौड़ने लगी। बाजार गुलजार हो गई। कल तक श्रमिक ट्रेन से आने वालों की निगरानी और आज स्पेशल ट्रेन से आने वालों की कोई रोक टोक नहीं। यहां तक देश के रेड जॉन के 11 शहर से भी ट्रेनें पहुँचने लगी। खगड़िया में भी आज दिल्ली से पहली ट्रेन पहुँचेगी। हर तरफ पहले जैसा माहौल मानो कोरोना खत्म हो गई। कोरोना से बचाव के साधन को और कारगर के बजाय जनता को खुद की हालत पर रहने छोड़ दी गई। इस बीच चुनावी मुद्दा गरम हुई है। जान छोड़ चुनाव की चर्चा हो रही। छूट भी राजनीति महत्वाकांक्षी हावी हुई है। छूट मिली और जांच का दायरा बढ़ा तो कोरोना के आंकड़े भी अपनी भयावहता की ओर इशारा करने लगी। खगड़िया में ही आंकड़े तीन सौ के करीब आ पहुंची है। एक दिन में तीन जून को रेकोर्ड 85 संख्या सामने आई। ये तब है जब दो दिन पहले ही हर तरफ राहत मिली है। जब कम आंकड़े थे तब सख्ती ऐसी सड़क पर निकलने पर काईवाई। और आज जब स्थिति बढ़ रही तो सब कुछ सामान्य। ये कैसी मजबूरी की जिंदगी बचाने की रोना पर आ जाएं। और कुछ करने की जगह मजबूरी पर छोड़ दें।
-खुद सतर्क रहें तभी बचेंगे।
बुधवार, 3 जून 2020
कोरोना के बढ़ते राह के बीच छूट
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