रविवार, 9 अक्टूबर 2022
खगड़िया की बेटी विशालाक्षी खेलेगी सिनियर नेशनल महिला टी ट्वेन्टी क्रिकेट टूर्नामेंट
खगड़िया रेलखण्ड में चलेगी सात जोड़ी पूजा स्पेशल ट्रेनें, प्रदेश से लौटना हुआ आसान
खगड़िया। रेलवे से दीपावली व छठ पर्व पर परदेस से बड़ी संख्या में घर लौटने वाले रेल यात्रियों को राहत की सफर देना का फैसला लिया है। यहां तक कि दूसरे प्रदेश से त्योहार स्पेशल ट्रेनें आने भी लगी। जी हां त्योहार स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ाई गई है। रेलवे ने खगड़िया रेलखंड होकर फिर चार जोड़ी त्योहार स्पेशल ट्रेन और चलाने की घोषणा की है। तीन जोड़ी साप्ताहिक स्पेशल ट्रेनें एक पखवारा पहले ही चलाने की घोषणा की गई थी। जिसमें सभी चारों साप्ताहिक ट्रेन सहरसा तक के लिए चलाई जाएगी। दो जोड़ी आनंदविहार से खुलेगी। जबकि एक नई दिल्ली व एक आनंदविहार से खुलेगी। जानकारी के अनुसार एक फेरी में 04022 डाउन व 04021 अप आनंदविहार टर्मिनल-सहरसा-आनंदविहार टर्मिनल पूजा स्पेशल ट्रेन आगामी 22 अक्टूबर को आनंदविहार से खुलेगी। अगले दिन 23 अक्टूबर को सहरसा पहुंचेगी। फिर इसी दिन वापस होगी। यह ट्रेन सिमरी बख्तियारपुर, खगड़िया रुकते हुए जाएगी।
इधर 04068 व 04067 नई दिल्ली-सहरसा पूजा स्पेशल ट्रेन आगामी 21, 26 व 29 अक्टूबर को नई दिल्ली से खुलेगी। वापसी में सहरसा से आगामी 22, 27 व 30 अक्टूबर को खुलेगी। वहीं 04016 व 04015 आनंद विहार टर्मिनल-सहरसा ट्रेन आगामी 23 व 26 अक्टूबर को नई दिल्ली से खुलेगी। जबकि सहरसा से वापस आगामी 24 व 27 अक्टूबर को चलेगी। इधर 04062 व 04061 आनंद विहार टर्मिनल-सहरसा त्योहार स्पेशल ट्रेन आगामी 21, 25 व 28 अक्टूबर को आनंदविहार से खुलेगी। वापसी में सहरसा से आगामी 22, 26 व 29 अक्टूबर को खुलेगी। यह ट्रेन भी सिमरी बख्तियारपुर, खगड़िया, बेगूसराय व बरौनी होते हुए चलेगी। बता दें कि इससे पहले तीन जोड़ी साप्ताहिक ट्रेन चलाने की घोषणा की जा चुकी हैं। जिसमें दो ट्रेन सहरसा तक चलेगी। जिसमें से एक अंबाला छावनी व एक आनंदविहार स्टेशन से चलकर सहरसा तक चलेगी। एक ट्रेन आनंदविहार से खुलकर कटिहार होते हुए जोगबनी तक चलायी जाएगी।
पहले तीन जोड़ी स्पेशल ट्रेनें दी गई: इससे पहले तीन जोड़ी साप्ताहिक त्योहार स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की जा चुकी है। जिसमें 01662 आनंदविहार-सहरसा त्योहर स्पेशल गत 29 सितंबर को खुलकर सहरसा आ रही है। वहीं 01661 सहरसा से गत 30 सितंबर को वापस लौटी थी। ट्रेन की दूसरी बार आई। फिर लौट भी गई। बता दें कि यह ट्रेन सप्ताह में दो दिन चलाई जा रही है। वहीं 05521 व 05522 अम्बाला छावनी-सहरसा के बीच चलाने का आदेश आ चुका है। साथ ही 04010 व 09 आनंदविहार-जोगबनी टे्रन सप्ताह में एक दिन चलाने की घोषणा की जा चुकी है। यह ट्रेन आनंदविहार से पहली बार आगामी 18 अक्टूबर को खुलेगी। जो खगड़िया में रूकते हुए जोगबनी तक चलेगी।
By: R@jeev
सोमवार, 5 सितंबर 2022
शिक्षकों को बेहतर वेतन से ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: एमएलसी
बोर्ड परीक्षा के जिला टॉपर किए गए पुरस्कृत, शिक्षक हुए सम्मानित
शिक्षक दिवस पर माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले सम्मान समारोह
शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं। जब तक शिक्षक अपने वेतन से संतुष्ट नहीं होंगे तब तक बच्चोंको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात नहीं की जा सकती है। शिक्षकों को पढ़ाने के साथ ही अपने हक व अधिकार के लिए लड़ने का भी काम करना पड़ रहा है। यह चिंताजनक है। यह बातें बिहार विधान परिषद सदस्य संजीव कुमार सिंह शनिवार को शहर के जेएनकेटी स्कूल सभागार में माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में शिक्षक दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में कही। संघ के जिला सचिव सूर्यनारायण यादव ने सूबे में पुरानी पेंशन योजना, शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की ओर एमएलसी का ध्यान दिलाया। कहा कि शिक्षकों को हर माह के पांच तारीख तक वेतन मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा। एरियर व अन्य लाभ का निष्पादन जल्द कराने का काम किया जाएगा। शिक्षकों को मजबूति के साथ हक व अधिकार के लिए लड़ाई लड़नी होगी। सम्मान समारोह में इंटर साइंस टॉपर आयुष कुमार, आर्ट्स टॉपर असिम मीर, कॉमर्स टॉपर अंजली, मैट्रिक टॉपर निशांत व जुली को प्रस्सतिपत्र व पाठय सामग्री देकर पुरस्कृत किया गया। वहीं शिक्षक से प्रोफेसर बने नवीन कुमार, प्रभाष्ज्ञ, राजेश, महेश चौधरी, डा. कुमारी सुमन, डायट में व्याख्याता बने डा. सुमित, राकेश, संजय, विक्रम, आशा सिन्हा, हाईस्कूल के एचएम पद पर नियुक्त हुए रंजीत कुमार, कंुदन कुमार सुमन, रमन, पुष्पलता व निलिमा कुमारी को शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया। वहीं सेवानिवृत शिक्षक प्रतापनारायण सिंह, देवचन्द्र झा, राज कुमार यादव सहित 23 को शॉल देकर सम्मानित किया गया। वहीं सघ के सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। इस दौरान डीईओ कृष्ण मोहन ठाकुर, एमडीएम डीपीओ कुमार अनुभव, पूर्व सचिव विष्णुदेव यादव, संघ के जिलाध्यक्ष डा. अभिनंदन कुमार, सदर अध्यक्ष राजीव सिंह, सचिव रंजन कुमार रवि, परीक्षा सचिव राजकिशोर राज, विनय कुमार सहित अखिल चौरसिया, नवीन कुमार, ब्रहमदेव राम, सुधांशु हिमांशु, रंजीव राय, नीतीश बली परवाना, सुभाष यादव, मुकेश कुमार, विजय सिंह आदि थे।
गुरुवार, 1 सितंबर 2022
खगड़िया के सन्हौली स्थित दुर्गा मंदिर की है पौराणिक मान्यता
दो सौ साल पहले खेत में देवी मां की प्रतिमा निकली थी, जो आज भी है मंदिर में स्थापित
पुजारी को मां ने स्वप्न में गांव के दक्षिण दिशा में प्रतिमा स्थापित करने को कहा था
खगड़िया शहर के सन्हौली स्थित मंदिर में मां दुर्गा की स्थापित प्रतिमा की पौराणिक मान्यता है। दो सौ साल पहले खेत से मिली मां की प्रतिमा आज भी मंदिर में स्थापित है। मंदिर में मां की शक्ति रूप में प्रतिमा स्थापित कर पूजा आराधना होती है। माना जाता है कि मंदिर के वर्तमान मुख्य पुजारी पंडित बोलबम ठाकुर के पूर्वजवों को दो सौ साल पहले सन्हौली गांव के पास मोइन कमला घार के पास से मां की प्रतिमा मिली थी, जिसे गांव के ठाकुरबाड़ी में स्थापित कर पूजा अर्चना की जाने लगी। इसके कुछ दिनों बाद उस पुजारी के स्वप्न में मां ने आकर प्रतिमा को गांव के दक्षिण दिशा में स्थापित करने को कहा। जिस पर पुजारी ने पूर्व विधायक केदार नारायण सिंह व गांव के गणमान्य लोगों से विचार विमर्श बाद वर्तमान के मंदिर स्थल पर प्रतिमा स्थापित किया गया। तब से वहां मां दुर्गा की प्रतिमा निर्माण कर हर साल पूजा की जा रही है। आज मंदिर भव्य रूप में बना है।
सन्हौली दुर्गा मंदिर में स्थापित मूर्ति।श्री दुर्गा स्थान सन्हौली की है महिला अपार: इस मंदिर की दूर दूर तक ख्याति है। शहर से लेकर जिले के विभिन्न हिस्से से लोग मां के दर्शन के लिए पहंुचते हैं। मंदिर के प्रति आस्था बड़ी है। यहां कलश स्थापन के साथ से ही पूजा अर्चना के लिए बड़ी भीड़ लगने लगती है। नवमी व दशमी पर तो मां के दर्शन व प्रसाद चढ़ाने के लिए काफी भीड़ उमड़ पड़ती है। खास बात यह है कि यहां नवमीं की सुबह से ही पाठा की बली दी जाती है, जो शाम तक चलती है। कहा जाता है कि पन्द्रह सौ से दो हजार के बीच पाठा की बली चढ़ती है। लोगों की मन्नते पूरी होने पर पाठा चढ़ाने की आस्था दूर-दूर तक फैली है। यहां की परंपरा यह है कि दशवीं के दिन शाम में ही मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के लिए उठाई जाती है। पूरे गांव का भ्रमण कराया जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही स्वरूप में मां की प्रतिमा स्थापित होती आ रही है।
नवरात्रा में शाम में होती है महा आरती: नवरात्रा पर मंदिर में शाम में महा आरती होती है। महा आरती में बड़ी संख्या में व्रति व श्रद्धालु शरीक होते हैं। सुबह व शाम में भी पूजा व आराधाना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। नवमी व दशवी के दिन तो भीड़ उमड़ पड़ती है। मुख्य पुजारी पंडित बोलबम ठाकुर बताते हैं कि नवरात्रा पर नौ दिनों तक हर दिन अलग-अलग तरह के प्रसाद का वितरण श्रद्धालुओं के बीच किया जाता है। वहीं नौ दिनों तक देवी जागरण का भी कार्यक्रम होता है।
भागलपुर के कलाकार बनाते आ रहे हैं प्रतिमा: श्री दुर्गा स्थान सन्हौली में स्थापित मां की प्रतिमा भागलपुर जिले के कलाकार द्वारा ही बनाई जा रही है। वर्तमान में जो कलाकार प्रतिमा बना रहे हैं, इससे पहले उनके पीढ़ी ही बनाते थे। बताया जाता है कि चाचा व भतिजा मिलकर प्रतिमा बनाते हैं। मुर्तिकार मां की एक ही स्वरूप में बनाते आ रहे हैं। मां की भव्य प्रतिमा भी खास बनती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु जेवरात भी चढ़ाते हैं।
मंदिर में उमड़ती है भीड़: दुर्गा पूजा पर मां के दर्शन व पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। अहले सुबह से जो भीड़ शुरू होती है लगातार लगी रहती है। मंदिर के प्रति लोगों की आस्था ही है कि यहां दर्शन व प्रसाद चढ़ाने के लिए हर कोई पहंुचते से खुद को नहीं रोक पाते हैं। महाआरती में दो से ढाई हजार भीड़ लगती है। पट खुलने पर यहां भीड़ काफी चलगती है। यहां वैसे तो पंडाला खास रूप में नहीं बनाया जाता है। साधारण पंडाल बनाया जाता है। लाइटिंग व गेट का निर्माण किया जाता है।
ट्रस्ट से संचालित है पूजा: श्री दुर्गा स्थान सन्हौली में दुर्गा पूजा का आयोजन ट्रस्ट के माध्यम से होता है। पांच लाख से अधिक का व्यय होता है। दो लाख तो पंडाल व लाइटिंग में ही लग जाता है। कमेटी द्वारा पूजा का खर्चा गांव व आसपास में चंदा इकट्ठा कर करते हैं। मंदिर की रसीद काटकर स्वेच्छा से जो लोग चंदा देते हैं वे लेते हैं। बताया गया कि समिति में अभी अध्यक्ष विजय रजक हैं। जबकि मंत्री नंदकिशोर सिंह, सचिव शेखर सिंह, सदस्य राकेश मोहन, मनीष कुमार सिंह, टिंकु सिंह सहित गांव के युवा व बुजुर्ग मिलकर शांति से प्रतिमा स्थापित करते हैं।
By: Rajeev
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम: शुरू होने से पहले ठंडे बस्ते में हुई गुम
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम: शुरू होने से पहले ठंडे बस्ते में हुई गुम
साल 2020 में शुरू होने वाली पढ़ना लिखना अभियान धरातल पर आने से पहले हो चुकी है बंद
15 आयु वर्ष उपर के असाक्षर महिला व पुरूष को गत अप्रैल से साक्षर करने की शुरू होनी थी केन्द्र
विभागीय पत्र मार्च में आई तो जिले में असाक्षरों को सर्वें की सुगबुगुहाट हुई शुरू
केन्द्र शुरू करने को लेकर गाइडलाइन व आवंटन आज तक नहीं आई, कार्यक्रम पर लगता नजर आ रहा है ग्रहण
खगड़िया जिले के असाक्षर महिला व पुरूषों को साक्षर करने की योजना शुरू होने से पहले ही ठंडे बस्ते में गुम हो गई। जी हां केन्द्र प्रायोजित नव भारत साक्षरता कार्यक्रम इस साल के अप्रैल माह से शुरू करनी थी, जो अबतक किसी गाइडलाइन व आवंटन के अभाव में शुरू नहीं हो सकी थी। यहीं हाल साल 2020 में भी शुरू की जाने वाली केन्द्र प्रायोजित पढ़ना लिखना अभियान धरातल पर उतरने से पहले ही फाइलों में बंद की जा चुकी है। बताया जाता है कि साल 2020 में केन्द्र सरकार द्वारा योजना को लंच किया गया था। हालांकि उस साल के वित्तीय साल के अंतिम माह में जिले को गाइडलाइन उपलब्ध कराते हुए केन्द्र संचालित करने को कहा गया था। पर, आवंटन जिले को उपलब्ध नहीं कराया जा सका था। इसके दूसरे साल नई योजना नव भारत साक्षरता कार्यक्रम लाया गया, इसका भी वैसा ही हाल होता नजर आता है। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम की बात करें तो इस साल के मार्च माह के अंत में विभागीय स्तर से गांव से लेकर शहर तक के 15 वर्ष आयु वर्ग से उपर के सभी जाति व धमार्ें के असाक्षर महिला व पुरूषों को साक्षर करने के लिए केन्द्र संचालत करने का लेटर आया था। जिस पर जिले में असाक्षरों को सर्वें करने का काम भी शुरू कर दी गई थी। यहां तक कि गत अप्रैल से साक्षरता केन्द्र शुरू करने की तैयारी भी विभाग करने को तैयारी में थी। पर, आज तक किसी तरह की केन्द्र संचालन को लेकर ना तो गाइडलाइन आई और ना ही आवंटन ही जिले को मिल सका। ऐसी स्थिति में सर्वें का कार्य भी बीच मजझार में ही छोड़ देनी पड़ी। वैसे जिले में फिलहाल मुख्यमंत्री असक्षर आंचल योजना के तहत दलित व महादिल वर्ग के महिलाओं को साक्षर की जा रही है। नव साक्षर हुई 13 हजार 520 महिलाओं को आगामी 25 सितम्ब को बुनियादी साक्षरता महापरीक्षा में शामिल कराने की तैयारी की जा रही है। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम शुरू होता तो असाक्षर पुरूष भी साक्षर हो पाते। असाक्षरों को बुनियादी शिक्षा के तहत पढ़ना, लिखना सहित सरकार स्तर से संचालित कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी मिलती।यह कार्यक्रम अगले पांच साल यानि 2027 तक संचालित करने का आदेश आया था।
साक्षरता केन्द्रों पर असाक्षरों को वीटी से पढ़ाने की थी व्यवस्था: साक्षरता केन्द्रों पर असाक्षर महिला व पुरूषों को स्वयं सेवक (वीटी) साक्षर करने की योजना बनाई गई थी। वीटी के रूप में स्थानीय स्तर के छात्र-छात्राएं, सेवानिवृत कर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता आदि को जिम्मेदारी दी जानी थी। स्वेच्छा से शिक्षा दान करने वालों को वीटी के रूप में चयन करने की बात कही गई थी। हर दस असाक्षरों को पढ़ाने के लिए एक वीटी लगनी थी। केन्द्र टोला व मुहल्ला में ही संचालित होनी है।
मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत महिलाएं हो रही है साक्षर: जिले में वर्तमान में बिहार सरकार की मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत असाक्षर महादलित व दलित महिलाओं को साक्षर करने की मुहिम चल रही है। इस योजना के तहत 15 से 45 साल उम्र तक के महादलित व दलित, अल्पसंख्यक असाक्षर महिलाओं को साक्षर करने के लिए 687 साक्षरता केन्द्रों पर शिक्षा सेवक व तालिमी मरकज जिम्मेदारी है। यह योजना 10 दिसम्बर 2012 में शुरू हुई थी। साक्षर होने वाली महिलाओं की बुनियादी साक्षरता परीक्षा लेकर प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाता है।
साक्षर भारत कार्यक्रम अब हो गई है बंद: जिले में चल रही केन्द्र प्रायोजित साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत असाक्षरों को साक्षर करने की योजना अब बंद कर दी गई है। जिसमें 15 आयु वर्ग से उपर के असाक्षर महिला व पुरूषों को साक्षर किया जा रहा था। बताया जाता है कि यह कार्यक्रम 2010 में शुरू हुई थी, जो साल 2018 में बंद कर दी गई। बताया गया कि इस बीच जिले में तीन लाख से अधिक असाक्षरों को साक्षर किया गया।
केन्द्र प्रायोजित पढ़ना लिखना अभियान धरातल पर उतरने से पहले ही फाइलों में बंद हो चुकी है। बता दें कि साल 2020 में केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना को लंच किया गया था। हालांकि उस साल के वित्तीय साल के अंतिम माह में जिले को गाइडलाइन उपलब्ध कराते हुए केन्द्र संचालित करने को कहा भी गया था। पर, आवंटन जिले को उपलब्ध नहीं हुआ। हालांकि जिला स्तर पर केन्द्र संचालन को लेकर बैठक भी हुई। जिले को 16 हजार के करीब असाक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य भी मिला था। सूत्रों की मानें तो इस अभियान के तहत असाक्षरों को पढ़ाने के लिए वीटी का भी चयन कर लिए जाने की बात कही गई। पर, बाद में योजना को बंद कर अब नव भारत साक्षरता कार्यक्रम को लाया गया है।
By: Rajeev
बुधवार, 3 अगस्त 2022
देश आजादी में खगड़िया रही शहीदों की धरती
खगड़िया। देश की आजादी को जिले के कई लोगों ने अपनी शहादत दी। इन वीर शहीदों में महज 21 साल की उम्र में सदर प्रखंड के माड़र गांव के स्नातक के छात्र प्रभुनारायण सिंह ने भी शहादत दे जिले को गौरवान्वित कर दिया। उनका घर सदर प्रखंड अन्तर्गत माड़र गांव में था। वे भाई में अकेले थे। शहर के होमगार्ड ऑफिस रोड के स्वतंत्रता सेनानी भरत पोद्दार बताते हैं शहीद प्रभुनारायण बनारस यूनिवर्सिटी के छात्र थे। वहां स्वतंत्रता आन्दोलन की रोज एक घंटे रोज पढ़ाई होती थी। महात्मा गांधी ने जब 9 अगस्त 1942 में जब अंग्रेजों भारत छोडा़े का नारा दिया ते आजादी के दीवाने क्रांतिकारी शहीद प्रभुनारायण बनारस से 12 अगस्त की शाम खगड़िया के लिए प्रस्थान कर गए। खगड़िया जब पहुंचे तो गांव भी नहीं गए। शहर से सटे सन्हौली गांव जाकर अपने नौजवान साथियों को तिरंगा झंडा के साथ एकत्रित किया। वहां से अंग्रेजों का विरोध करते हुए खगड़िया मुंगेरिया चौक की ओर कूच गए। वहां पर कैंप कर रहे अंग्रेज सिपाहियों ने तिरंगा थामे प्रभुनारायण को गोली मारने की धमकी दी। अंग्रेज सिपाहियों की धमकी को अनसुना करते साहसी प्रभुनारायण अपनी कमीज का बटन खोलते हुए कहा कि वे पीछे नहीं हटेंगे। तिरंगा लेकर जैसे ही आगे बढ़े अंग्रजों ने उन्हें तीन गोलियां दाग दी। जिसमें दो गोली उसके सीने तथा एक गोली पैर में लगी। वही पर 13 अगस्त को 1942 को वे शहीद हो गए। वे बताते हैं कि उस समय प्रभुनारायण के साथ वे भी उनके साथ थे। गोली चलने के बाद सभी लोग तितर बितर हो गए।
शहर के राष्ट्रीय हाईस्कूल में रखा गया था पार्थिव शरीर: शहादत के बाद उनका पार्थिव शरीर शहर के राष्ट्रीय उच्च विद्यालय में रखा गया। जहां देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ पड़ी। अंग्रेजों के प्रति लोगों के चेहरे पर गम व गुस्सा खासा देखा जा रहा था। दूसरे दिन सुबह शवयात्रा निकलकर उनके माड़र पहुंचा। जहां नवटोलिया गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया। जहां अश्रूपूरित नेत्रों से लोगों ने अपने लाल को अंतिम विदाई दी।
बचपन से ही थे आंदोलनकारी
प्रभुनारायण का जन्म 1921 में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा रामगंज में व माध्यमिक शिक्षा श्यामलाल हाईस्कूल में हुई थी। शीतल प्रसाद सिंह व चंपा देवी के इकलौते संतान प्रभुनारायण बचपन से ही आन्दोलनकारी थे। उन्होंने संघर्ष कर न केवल गांव बल्कि आसपास के गांवों में भी मजदूरों को उचित मजदूरी दिलवायी थी। जिस समय शहीद प्रभुनारायण की शहादत हुई उस समय उनकी पत्नी सिया देवी गर्भवती थी। पुत्र के जन्म होने पर उसका नाम हिम्मत प्रसाद सिंह रखा गया।
जहां शहीद हुए लोगों ने लगा दी प्रतिमा
शहीद प्रभुनारायण जहां शहादत दी उस स्थल पर लोगों ने वीर सेनानी की प्रतिमा स्थापित कर दी। वहीं माड़र उत्तरी गांव में भी उनके सम्मान में स्मारक की स्थापना की गई। अमर शहीद प्रभुनारायण सिंह स्मारक निर्माण समिति के संयोजक विजय कुमार सिंह बनाए गए। वही कमेटी के अन्य सदस्यों में नरसिंह मंडल, रामसकल शर्मा, मुरली मनोहर भारती, शंभूनाथ मंडल आदि बताते हैं कि स्मारक स्थल पर हर साल उनके शहादत दिवस पर 13 अगस्त को झंडा झुकाकर राष्ट्रीय शोक मनाया जाता है।
शहर के मुंगेरिया चौक पर स्थापित शहीद प्रभुनारायण की प्रतिमा।
शनिवार, 23 जुलाई 2022
खगड़िया में बैकलॉग सहित 3488 पदों पर होगी शिक्षकों की नियुक्ति
खगड़िया जिले में सातवें चरण में 3488 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। छात्र अनुपात में इस बार शिक्षक के पद भरे जाएंगे। कक्षा एक से पांचवीं तक में 1649 सीट चिह्नित किए गए हैं। जबकि कक्षा छह से आठवीं तक में विषयवार 1839 सीट पर बहाली संभावित है। इन सीटों में छठे चरण की बची 786 सीट भी शामिल किया गया है। जिसमें कक्षा एक से पांचवी के 534 बीच सीट है। जबकि कक्षा छह से आठवीं के 252 सीट भी जुड़ा है। गत 31 मार्च तक सेवानिवृत्त, त्यागपत्र व सेवामुक्त होने के कारण रिक्त 62 सीट शामिल है। जिसमें प्राइमरी के लिए 60 रिक्त पद व मिडिल स्कूल के लिए 22 सीट शामिल है। छात्र अनुपात में इस बार चिह्नित किए गए कुल रिक्ति 2620 है। जिसमें कक्षा एक से पांचवीं में 1055 व कक्षा छह से आठवीं में 1565 सीट चिह्नित किए गए हैं। बता दें कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने गत 26 मई को पत्र जारी कर सभी डीईओ व डीपीओ स्थापना से बिते 31 मार्च 2022 की स्थित के अनुसार स्कूलावार व इकाईवार रिक्त पदों की गणना करने का आदेश दिया था। जिसके आधार पर गत 15 दिन पहले जिले से चिह्नित रिक्ति को राज्य भेजा गया था।
सदर प्रखंड के 86 रिक्त सीट पर महज 39 अभ्यर्थियों का हुआ था चयन: सदर प्रखंड अंतर्गत 16 पंचायतों में नियोजन की प्रक्रिया हुई। जिसमें 86 रिक्त सीट पर महज 39 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। अलौली प्रखंड अंतर्गत 19 पंचायतों में 91 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन किया गया था। मानसी प्रखंड अंतर्गत चार पंचायतों में 28 सीट पर महज नौ का चयन हो पाया था। वहीं चौथम प्रखंड अंतर्गत 11 पंचायत नियोजन इकाईयों में 46 सीट में 23 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। गोगरी प्रखंड अंतर्गत 14 पंचायत नियोजन इकाईयों में रिक्त 60 सीट में 30 सीट ही भर सका। बेलदौर के 13 पंचायतों में 93 सीट में 41 अभ्यर्थी चयनित हुए थे। परबत्ता अंतर्गत 16 पंचायत नियोजन इकाईयों में शिक्षक के 80 रिक्त सीट पर महज 37 का चयन हो पाया था। जिलेके विभिन्न 93 पंचायत नियोजन इकाईयों में काउंसिलिंग हुई थी।