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बुधवार, 5 अप्रैल 2023

खगड़िया: स्कूली बच्चों तक नहीं पहुंची निःशुल्क किताबें

खगड़िया जिले के प्रारंभिक स्कूलों में नए सत्र की पढ़ाई शुरू है। पर, बच्चों को मिलने वाली निशुल्क पाठय पुस्तक नहीं मिली है। आलम यह है कि अब तक कक्षा तीन, चार, पांच, छह व सातवीं के बच्चों के लिए किताबों के सेट राज्य से जिला को भी उपलब्ध नहीं हो सकी है। यह बात और है कि कक्षा एक, दो व आठवीं के बच्चों को मिलने वाली निशुल्क पाठय पुस्तक बीआरसी को उपलब्ध करायी जा चुकी है। 

पहली अप्रैल से शैक्षणिक सत्र 2023-24 की पढ़ाई शुरू है। विभागीय सूत्रों की मानें तो इस सत्र के लिए जिले के 1060 प्रारंभिक स्कूलों के कक्षा एक से आठवीं तक में तीन लाख 55 हजार 59 बच्चों के लिए किताबों के सेट की डिमांड राज्य से की गई है। पर, महज कक्षा एक, दो व आठवीं के एक लाख 20 हजार 380 बच्चों के लिए ही विभिन्न प्रखंडों में किताबों का सेट पहुंची है। पर, वह भी स्कूलों तक बच्चों के लिए नहीं भेजी गई है।

इस सत्र से किताब सेट उपलब्ध कराने हुई है व्यवस्था इस शैक्षणिक सत्र से कक्षा एक से आठवीं तक के छात्र व छात्राओं को फिर से निशुल्क पाठय पुस्तक देने की व्यवस्था की गई है। इससे पहले पिछले कुछ सालों से बच्चों को किताब खरीदने के लिए खाते में ही डीबीटी के माध्यम से राशि उपलब्ध कराई जा रही थी। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत पहले विभाग द्वारा बच्चों को किताब सेट ही उपलब्ध कराया जा रहा था। हाल के कुछ सालों से राशि ही दी जाने लगी। अब इस सत्र से फिर से किताब ही देने की व्यवस्था की गई है। जाहिर है कि जब जब किताब उपलब्ध कराई जा रही थी सत्र शुरू होने बाद ही बच्चों तक किताब पहुंच रही थी। यहां तक कि राशि जब देने लगी तो राशि भी सत्र शुरू के कई माह बाद राशि भेजी जाती थी। यहां तक अधिकांश बच्चे बिना किताब के ही कक्षा में पढ़ाई कर लेते थे। यही हाल फिर से अधिकांश बच्चों के सामने उत्पन्न हुई है।

जिले में प्रारंभिक स्कूलों के विभिन्न कक्षाओं के दो लाख से अधिक बच्चों के लिए किताबों के सेट जिले में आने का इंतजार है। उल्लेखनीय है कि अभी महज पहली, दूसरी व आठवीं कक्षा के लिए ही सातों बीआरसी में किताब पहुंची हैं। जहां से स्कूल ले जाया जाना है। इधर बता दें कि जिले में हिन्दी से जुड़ी तीन लाख 36 हजार 62 किताब की सेट की जरूरत है। वहीं उर्दू की 1288 सेट किताब की डिमांड की गई है। मिक्स किताब की सेट 17 हजार 709 की डिमांड हैं। अब देखना है कि जिस कक्षा की किताब जिले में राज्य से नहीं भेजी गई है, तब तक आती है। तब तक बच्चों को बिना किताब के ही स्कूल में पढ़ाई करने की मजबूरी रहेगी।


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