रविवार, 19 जून 2022
मुंगेर यूनिवर्सिटी: स्नातक पार्ट वन और टू की 20 जून को होने वाली परीक्षा हुई स्थगित
शुक्रवार, 17 जून 2022
खगड़िया जिले में 686 शिक्षा सेवक और तालीमी मरकज किए गए प्रतिनियोजित
20 जून तक नव प्रतिनियोजित स्कूल में करना है योगदान, पहली वार हुई है स्कूल की अदला बदली
खगड़िया जिले में 686 शिक्षा सेवक व तालिमी मरकजों को एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रतिनियोजित किया गया है। इसके साथ ही इन शिक्षासेवकों को आगामी 20 जून तक नव प्रतिनियोजित स्कूलों में योगदान देने का निर्देश मिला है। साक्षरता डीपीओ ने आदेश जारी कर स्कूलों के हेडमास्टरों को 18 जून तक सभी को विरमित करने को कहा है। ऐसा नहीं की स्थिति में प्रतिनियोजित कर्मी 19 जून से स्वत: विरमित माने जाएंगे।
विशेष सचिव सह निदेशक जन शिक्षा बिहार पटना के पत्रांक 739 दिनांक सात जुलाई 2021 एवं उप निदेशक जन शिक्षा के पत्रांक 687 दिनांक दो मई 2022 के आलोक में डीईओ के अनुमोदन के उपरांत साक्षरता डीपीओ कुणाल कुमार ने तीन वर्षों से अधिक एक ही स्कूल में कार्यरत शिक्षासेवकों को प्रखंड अंतर्गत अन्यत्र स्कूल में प्रतिनियोजन किया गया है। परबत्ता 29 सेवक व तालिमी मरकजों का प्रतिनियोजन किया। मानसी में 19, चौथम 54, गोगरी 54, बेलदौर101, सदर 198 व अलौली240 शिक्षा सेवक व तालिमी मरकज एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रतियोजित किए गए हैं। इधर साक्षरता डीपीओ कुणाल गौरव ने बताया कि विभागीय पत्र के आलोक में डीईओ के अनुमोदन के उपरांत एक ही कई सालों के पदस्थापित शिक्षा सेवकों व तालिमी मरकजों का प्रतिनियोजन किया गया है।
नियोजन के बाद पहली बार इधर से उधर: जिले में टोला सेवक व तालिमी मरकजों को पहली बार एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रतिनियोजन कर पदस्थापित किया गया है। जिले में साल 2009 में टोला सेवक व तालिमी मरकजों की विभिन्न स्कूलों में नियोजन किया गया था। पहले एसएसए के अंतर्गत इनका नियोजन किया गया था। इसके बाद साल 2012 में इनका समायोजन केन्द्र से बिहार सरकार अपने अंदर कर लिया।
By: Rajeev
रविवार, 12 जून 2022
जिले के माध्यमिक स्कूलों में है लैब, पर नहीं होता है प्रायोगिक समान प्रयोग
खगड़िया जिले के राजकीयकृत माध्यमिक स्कूलों में लैब की व्यवस्था तो की गई। पर, छात्र व छात्राओं के लिए प्रायोगिक कक्षा नहीं के बराबर बताई जाती है। खासकर इंटरस्तरीय कई ऐसे स्कूल हैं, जहां साइंस की तीनों विषयों के सभी शिक्षक नहीं हैं। जाहिर है कि कहीं पूरी तरह से लैब व्यवस्थित नहीं है, तो कहीं लैब महज खानापूर्तिभर बताया जाता है। वहीं साइंस की शिक्षकों की भी समस्या बताया जाता है। श्रीकृष्ण हाईस्कूल ओलापुर गंगौर में साइंस के एक शिक्षक हैं, जो प्रभारी प्राचार्य भी हैं। यहां भौतिकी व रसायन शास्त्र के एक भी शिक्षक नहीं हैं। यहां सामाजिक विज्ञान विषय में एक पद हैं, पर वर्तमान में तीन शिक्षक ओवर यूनिट इस विषय में पदस्थापित बताए जाते हैं। इंटर स्कूल भदास में भी साइंस संकाय में महज फिजिक्स विषय में ही शिक्षक हैं।
लैब है। पर, स्टूडेंट्स को नहीं मिलती सुविधा: जिले के माध्यमिक स्कूलों में लैब की सुविधा तो है। पर, अधिकांश स्कूलों में साइंस के स्टूडेंटस को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई स्कूलों में फर्नीचर नहीं रहने से प्रायोगिक की सामान अलमीरा में रखे शोभा बढ़ा रही है। वहीं एक भी स्कूलों में लैब तकनीशियन नहीं है। यहां तक कि कई स्कूलों में साइंस के शिक्षकों की भी अभाव बताया जाता है। ऐसे में प्रायोगिक की सामान रहते हुए भी बेकार साबित हो रहा है। जिले के अधिकांश स्कूलों में लैब का उद्देश्य साकार नहीं हो रहा है। इधर बता दें कि साल 2019 में श्रीकृष्ण हाईस्कूल ओलापुर गंगौर को शिक्षा विभाग द्वारा तीन लाख राशि की लैब का सामान उपलब्ध कराया गया था। पर, फर्नीचर की व्यवस्था नहीं की गई। जिससे लैब के सभी सामान को अलमीरा में रखने की मजबूरी है। ऐसे में छात्र व छात्राओं को सही सरीके से प्रायोगिक कक्षा लेने में समस्या बनी है। इधर इंटर स्कूल भदास में साल 2017-18 में तीन लाख राशि लैब के लिए दी गई थी। जिससे सामग्री की खरीद की गई थी। हालांकि यहां लैब रूम में फर्नीचर की व्यवस्था पहले से रहने से व्यवस्थित जरूर देखा जाता है। इसी साल कुछ और स्कूलों को तीन लाख दिए गए थे। वहीं कई स्कूलों को पांच लाख दिए गए थे। जिससे फर्नीचर की भी खरीदारी करनी थी। यह राशि योजना एवं लेखा संभाग द्वारा स्कूलों को उपलब्ध कराया गया था। जिसका कई स्कूलों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र भी दिया। अधिकांश स्कूलों में लैब व्यवस्थित आज तक नहीं हो सका है। यहां तक कहा जाता है कि कई स्कूलों में लैब की सामान की खरीदारी सही से नहीं की गई। जो जांच के बाद ही सामने आ सकता है।
जिले में राजकीयकृत हाईस्कूलों में की गई है सुविधा: जिले में राजकीयकृत 41 माध्यमिक स्कूलों में कई चरणों में लैब की सामान व राशि उपलब्ध कराए गए। हालांकि जिले में वर्तमान में उत्क्रमित हाईस्कूल सहित 137 माध्यमिक व इंटर स्तरीय स्कूल हैं। उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों में लैब की व्यवस्था नहीं हो सकी है। सूत्रों की मानें तो साल 2019 में दो दर्जन के करीब माध्यमिक स्कूलों को तीन लाख की राशि से शिक्षा विभाग द्वारा ही लैब की सामान उपलब्ध कराया गया था। इससे पहले 2017-19 सत्र में भी कुछ स्कूलों को लैब की सामग्री खरीद के लिए तीन-तीन लाख रुपए दिए गए थे। वहीं कुछ स्कूलों को फर्नीचर के लिए अलग से दो-दो लाख भी दिए गए। पर, आज स्थिति यह है कि यह व्यवस्थित नहीं नजर आती है।
खगड़िया जिले में गर्ल्स हॉस्टल नहीं, कॉलेजों में पढ़ाई करने वाली बालिका शहर में कैसे रहकर पढ़ेगी
खगड़िया जिले के सुदूर गांव व दूसरे जिले से पढ़ाई करने आने वाली लड़कियों के लिए कॉलेजों में महिला छात्रावास की सुविधा सालों के बाद भी नहीं हो सका है। जिससे लड़कियों को शहर आकर उच्च शिक्षा हासिल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
नियमित रूप से कॉलेज नहीं कर पाती है। यहां तक कि कोचिंग करने में शहर आने में भी असुविधा उठानी पड़ती है। जबकि इंटर व स्नातक में अब ऑनलाइन नामांकन व्यवस्था में एक जिले से दूसरे जिले में कॉलेज में दाखिला मिल रहा है। इन सब के बीच अकेली लड़कियों को शहर में रहकर पढ़ाई करनी समस्या है। इस सब के बीच साल 2009 में कोशी कॉलेज परिसर में सौ बेड के बन रहेमहिला छात्रावास आज तक अधूरा पड़ा है। वहीं जिले के एकमात्र महिला कॉलेज में छात्रावास की भूमि पर अतिक्रमण के कारण 2008 में शिलान्यास के बाद भी निर्माण नहीं हो सका। गोगरी व परबत्ता स्थित कॉलेज में भी लड़कियों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं है। कोशी कॉलेज में सौ बेड का दो मंजिला छात्रावास बनकर अधूरा पड़ा है। साल 2014 से यथावत स्थिति है। यूजीसी से सेकेंड किस्त की राशि आवंटित नहीं होने से निर्माण अधूरा पड़ा है। यूजीसी की 11वीं पंचवीं योजना के तहत 80 लाख लागत से सौ बेड का महिला छात्रावास का निर्माण की स्वीकृति उपरांत 26 अक्टूबर 2009 में तत्कालीन कुलपति प्रेमा झा के शिलान्यास के बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया।
निर्माण पूरा से पहले ही टूटने लगा है छज्जा: कोशी कॉलेज में निर्माणाधीन महिला छात्रावास का अब तो छज्जा भी टूटकर गिरने लगा है। साल 2014 से दो मंजिला बने भवन अधूरा पड़ा है। मेन गेट में ग्रिड लगा है। निर्माण कार्य आगे नहीं होने से अब भवन की दीवार पर घास फुस लग गए हैं।
खगड़िया के एक मात्र महिला कॉलेज में भी हॉस्टल नहीं: जिले का एकमात्र महिला कॉलेज में बालिका छात्रावास निर्माण का सपना पूरा नहीं हो सका है। शहर के बलुवाही स्थित बिस्कोमान भवन स्थित छात्रावास की प्रस्तावित 14 कट्ठा 18 धूर जमीन पर यूजीसी फंड के 80 लाख की लागत से सौ बेड के हॉस्टल निर्माण की आधारशिला तत्कालीन वीसी ने 2008 में की थी। भूखंड अतिक्रमित रहने से निर्माण शुरू नहीं हुआ। जो आज तक नहीं हो सका। दो साल पहले यूजीसी से मिली पहली किस्त की 40 लाख राशि वापस भी हो गई है। इस साल के 1 फरवरी को प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की पर, भूखंड अतिक्रमणमुक्त नहीं हुआ। पांच जून को छात्रावास की भूखंड की चाहरदीवारी को विधायक ने आधारशिला रखी है।
कहते हैं प्राचार्य
अधूरे महिला छात्रावास निर्माण पूरा कराया जाएगा। यूजीसी के कलकत्ता स्थित कार्यालय से हॉस्टल की बची सेकेंड किस्त की राशि उपलब्ध कराने की पहल होगी।
- डॉ. जयनंदन सिंह, प्राचार्य, कोशी कॉलेज
बुधवार, 8 जून 2022
खगड़िया जिले में प्रारंभिक परीक्षा में 25 फीसदी भी नहीं रहा स्टूडेंट्स का ए ग्रेड रिजल्ट
खगड़िया जिले में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंटस की वार्षिक परीक्षा सह मूल्यांकन का रिजल्ट वर्गवार ग्रेड जारी किया गया। जिसमें ए ग्रेड 25 फीसदी भी नहीं रहा। हां यह बात और है कि इस बार ई ग्रेड जो बहुत कमजोर माना जाता है एक भी बच्चे का नहीं रहा है। दरअसल पांचवीं व आठवीं कक्षा के बच्चों की वार्षिक परीक्षा पहले ली गई। फिर इसके बाद अन्य कक्षाओं के छात्राओं का मूल्यांकन किया गया। जिले के 1061 प्रारंभिक स्कूलों में पांचवीं कक्षा में नामांकित बच्चों में से 88.97 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा दी। जिसमें ए ग्रेड महज 14.647 बच्चों ने ही लाया। बी ग्रेड 58.61 प्रतिशत बच्चों का रिजल्ट रहा। जबकि सी ग्रेड 24.17 व डी ग्रेड 2.566 प्रतिशत रहा। वहीं आठवीं क्षा में 90.09 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा दी। जिसमें 20.473 प्रतिशत बच्चों ने ए ग्रेड लाया। जबकि 60.25 प्रतिशत बच्चों को बी ग्रेड, 17.21 बच्चों ने सी ग्रेड व 2.062 प्रतिशत डी ग्रेड लाया। सबसे अधिक बच्चों ने बी ग्रेड लाया है।
अन्य कक्षाओं में ओवर ऑल महज 14.22 प्रतिशत बच्चों ने ही लाया ए ग्रेड: कक्षा एक से चार तक व छह व सातवीं कक्षा तक की परीक्षा में ओवर ा ऑल ए ग्रेड महज 14.22 प्रतिशत बच्चों का ही रिजल्ट रहा। कक्षा एक में महज 14.21 प्रतिशत बच्चों का ही ए ग्रेड रिजल्ट रहा। वहीं कक्षा दो में महज 13.60 प्रतिशत ही ग्रेड रिजल्ट रहा। कक्षा तीन में भी 13.63 प्रतिशत ही ए ग्रेड बच्चों ने लाया। वहीं कक्षा चार में 14.26 प्रतिशत ही बच्चों का ए ग्रेड रिजल्ट रहा। इधर कक्षा छह में सबसे अधिक 15.22 प्रतिशत बच्चों का ए ग्रेड आया। जबकि कक्षा सातवीं में महज 14.69 प्रतिशत को ही ए ग्रेड रिजल्ट में मिला। इधर कोरोना के दाौरान परीक्षा नहीं होेने के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि दोबारा से शिक्षा व्यवस्था अब पटरीपर लाौटने लगी है लेकिन लोगों को सिपर्फ एक ही भय है कि अब दोबारा पिफर से कोरोना का कहर शुरू नहीं हो। एसएसए के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शौलेन्द्र कुमार ने कहा कि स बार दो साल बाद स्कूलों में वार्षिक परीक्षा आयोजित हुई थी। परीक्षा का रिजल्ट प्रतिशत में एक भी बच्चे का ई ग्रेड नहीं मिला है। ऐसे में रिजल्ट प्रतिशत अच्छा है।
दो साल बाद हुई थी स्कूलों में परीक्षा: कोरोना काल के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों को बिना परीक्षा के ही दो साल अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया था। साल 2020 की मार्च में परीक्षा लेने की तिथि भी निर्धारित हो गई थी। यहां तक कि प्रश्नपत्र भी छपकर आ गया था। इसी बीच कोरोना के कारण स्कूल बंद हो गए थे। इसके बाद सभी छात्र व छात्राओं की परीक्षा स्थगित हो गई थी। फिर बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा में सभी को प्रमोट किया गया। 2021 में भी कोरोना के कारण परीक्षा नहीं हुई थी। दो साल पर इस साल मार्च माह में परीक्षा ली गई थी।
इस साल के मार्च माह में ली गई थी 2021-22 सत्र की परीक्षा: जिले के प्रारंभिक स्कूलों में पांचवी व आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं की वार्षिक परीक्षा गत सात मार्च से 10 मार्च तक ली गई थी। बता दें कि सात मार्च को भाषा व अंग्रेजी विषय की परीक्षा हुई थी। वहीं आठ मार्च को गणित, पर्यावरण व सामाजिक विज्ञान, नौ मार्च को विज्ञान व संस्कृत केवल व 10 मार्च को हिन्दी व शैक्षणिक गतिविधि हुई थी। जबकि गत 25 से 29 मार्च तक कक्षा एक से चतुर्थ व कक्षा छह से आठवीं तक के बच्चों का वार्षिक मूल्यांकन हुआ था। मुल्यांकन के बाद से हरी किसी को परिणाम जानने की उत्सुकता बनी हुई थी।
सोमवार, 6 जून 2022
डाउन नॉर्थइस्ट टे्रन में स्कॉट पार्टी पर चाकू से हमला
कटिहार स्कार्ट पार्टी के एक सिपाही हुआ घायल, दो अपराधी हुआ फरार
बेगूसराय बाद मारी थी चाकू, खगड़िया में उतारकर कराया गया इलाज
खगड़िया।
टे्रन में रेल यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे कहे तों कोई दोराय नहीं है। खासकर रात में सफर करने वाले रेल यात्रियों में सुरक्षा के प्रति चिंता है। जी हां ट्रेन में जग स्कॉट पार्टी खुद की रक्षा नहीं कर पाते हैं, तो यात्रियों की सुरक्षा कैसे करेंगे? यह इसलिए सवाल है कि डाउन 12506 नॉर्थइस्ट एक्सप्रेस ट्रेन में रविवार की अहले सुबह बरौनी-खगड़िया के बीच अपराधियों ने स्कॉट पार्टी के एक सदस्य को ही चाकू से घायल कर फरार हो गया। सूत्रों की मानें तो बरौनी स्टेशन पर ट्रेन में चल रहे स्कॉट पार्टी ने दो अपराधियों को रंगे हाथों दबोचा था। जिसमें से एक अपराधी ट्रेन खुलते ही किसी तरह भाग निकला। जबकि दूसरे अपराधी के बारें में कहा जाता है कि बेगूसराय रेलवे स्टेशन से ट्रेन खुलने के बाद स्कॉट पार्टी के एक सिपाही को ही चाकू मारकर घायल कर चलती ट्रेन से कूद कर भाग गया। जिसके बाद घायल सिपाही को खगड़िया स्टेशन पर उतारकर इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। घायल सिपाही की पहचान कटिहार स्कॉर्ट पार्टी के सिपाही ललन प्रसाद सिंह के रूप में हुई है।