मेरे ब्लॉग पर बेबाक़ और सीधी बात।
फासले कहीं न हो जाये तेरे मेरे दरमियां इल्जाम इस क़दर न लगाओ तुम बेहिसाब उठाओ नजरें न इस तरह जख्म हो जाए जर्रा-जर्रा नफरतों को हवा न दो और खिलाफत हो न जाए जमाने
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