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शनिवार, 30 मार्च 2019

...और कुछ तो है

मंजिलें खामोश है ,शोर करता ये रास्ता तो है,
दिल्लगी का हीं सही ,साथ कोई वास्ता तो है,
कौन कहता है हमारे दरमियाँ कुछ भी नहीं,
नामुक़्कमल इक अधूरी अनकही दास्ताँ तो है..
                        मेरी कलम से...

शनिवार, 23 मार्च 2019

नफरत ए इरादे

फासले कहीं न हो जाये तेरे मेरे दरमियां
इल्जाम इस क़दर न लगाओ तुम बेहिसाब
उठाओ नजरें न इस तरह जख्म हो जाए जर्रा-जर्रा
नफरतों को हवा न दो और खिलाफत हो न जाए जमाने

बुधवार, 20 मार्च 2019

आएंगे याद

 
जाने तो दे जरा आएंगे हम भी तुम्हे याद।
  याद आएंगे वादा है तुम से जब होंगे उस जहा।।
     खो जाओगे बिता कल में तब हम न होंगे यहाँ।
       रुसवा हो तो क्या गम कल तुम्हे रुला छोड़ देंगे।।