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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

खगड़िया कुशेश्वरस्थान रेल परियोजना आधे से अधिक भाग में काम अधूरा

खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना के बड़े भाग में काम अभी भी शुरू नहीं हो सका है। 24 साल में महज साढ़े 18 किलोमीटर तक ही ट्रैक बिछ पाया है। 44 किलोमीटर लंबी इस रेल परियोजना में खगड़िया से अलौली तक अब पहले पैसेंजर ट्रेनें चलाई जाने की तैयारी जरूर है। परियोजना के कच्छप गति से चलने का आलम यह है कि नौ बड़े पुलों में चार पुलों का निर्माण भी शुरू नहीं होने की बात कही जा रही है। हालांकि खगड़िया से कुशेश्वर स्थान के बीच बनने वाले सभी 54 छोटे पुल व पुलिया जरूर बन रहा है। वहीं रेलवे स्टेशन भवन भी तीन जगहों को छोड़कर तैयार नहीं हुआ है। यहां तक कि चेराखेरा में स्टेशन भवन बनने की तैयारी भी नहीं देखी जा रही है।

तीन स्टेशन भवन बनकर तैयार: महज विशनपुर, कामाथान व अलौली गढ़ में स्टेशन भवन बनकर पूरी तरह से तैयार है। अलौली गढ़ आउटर सिगनल के बाद परियोजना का काम वर्तमान में भी नहीं दिखता है। अलौली के बाद चेराखेरा व शहरबन्नी के बीच मिट्टी भराई भी नहीं की जा रही है। अलौली से चेराखेरा के बीच नदी पर बड़ा पुल बनना है जो नहीं पूरा हुआ है। पिछले साल तक चेराखेरा व शहरबन्नी में परियोजना के अंतर्गत जिन किसानों की जमीन गई थी उसे मुआवजा का भी मामला पड़ा था। इससे आगे कुशेश्वर स्थान तक तेज गति से काम नहीं दिख रहा है। ऐसे में यह परियोजना के अगले दस साल तक पूरा होने में समय लग सकता है। हालांकि जिस अनुसार आवंटन इस बार दिया गया है ऐसे ही आवंटन मिले तो इससे पहले भी परियोजना के पूरी होने की उम्मीद की जा सकती है।खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना के बड़े भाग में काम भी शुरू नहीं हुआ है। 44 किलोमीटर लंबी इस रेल परियोजना में महज साढ़े अठारह किलोमीटर तक ही रेलवे द्वारा ट्रैक बिछाया जा सका है। परियोजना के कच्छप गति से चलने का आलम यह है कि नौ बड़े पुलों में चार पुलों का निर्माण भी शुरू नहीं होने की बात कही जा रही है। हालांकि खगड़िया से कुशेश्वर स्थान के बीच बनने वाले सभी 54 छोटे पुल व पुलिया जरूर बन रहा है। वहीं रेलवे स्टेशन भवन भी तीन जगहों को छोड़कर तैयार नहीं हुआ है। यहां तक कि चेराखेरा में स्टेशन भवन बनने की तैयारी भी नहीं देखी जा रही है। 

  हालांकि जिस अनुसार आवंटन इस बार दिया गया है ऐसे ही आवंटन मिले तो इससे पहले भी परियोजना के पूरी होने की उम्मीद की जा सकती है।


इस बजट से 237 करोड़ राशि गई थी मांगी: परियोजना को गति से पूरा करने के लिए इस बजट में 237 करोड़ की राशि की जरुरत जताई गई थी। पर, मिला महज 65 करोड़ ही। बता दें कि 162 करोड़ की परियोजना में अब छह सौ करोड़ से अधिक की लागत आ रही है। ऐसे में अब तक जितने आवंटन मिले हैं उसके बाद करीब दो सौ करोड़ की राशि मिलनी है। यह राशि अगले वित्तीय साल में एक साथ मिल जाने पर परियोजना में गति आ सकती है। जिससे लोगों को जल्द इस रूट में ट्रेन से आने व जाने का सपना साकार हो सकेगा।

● परियोजना में महज साढ़े 18 किलोमीटर तक ही बिछा ट्रैक

● इस बजट से 237 करोड़ की मांगी गई थी राशि, मिली महज 65 करोड़

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