मेरे ब्लॉग पर बेबाक़ और सीधी बात।
दिल टूट जाने का इजहार जरूरी तो नहीं तेरी तमाशा करें सरे बाजार जरूरी तो नहीं मुझे तो बस इश्क़ तेरी रूह से आज भी है जिस्म से सरोकार रखनी हमें मंजूर नहीं है
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