मेरे ब्लॉग पर बेबाक़ और सीधी बात।
इंसानों की बस्ती आज है खाली खिला चमन आज हर तरफ है वीरान उड़ने की हौसले आज है मायूस चहकी है गगन बस उड़ते आज पंछी
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